बाराबंकी

देवा मेला धार्मिक आस्था के साथ घुमंतू परिवारों की रोजी-रोटी का भी जरिया बना है। करीब डेढ़ सैकड़ा सपेरे इन दिनों मेले में डेरा डाले हैं। मेले के आस-पास के गांवों में घूमकर यह घुमंतू परिवार अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं।
करीब पांच किलोमीटर दायरे में फैले देवा मेले में प्रदेश भर के दुकानदार अपनी दुकानें लगाते हैं। दुकानदारों के साथ घुमंतू परिवारों की भी इस दौरान अच्छी कमाई हो जाती है। सपेरे, बहरूपिया और जादू दिखाकर अपना गुजारा करने वाले सैकड़ों परिवार इन दिनों मेला क्षेत्र में डेरा डाले हैं। सुबह उठकर गांवों में अपने हुनर का प्रदर्शन कर यह परिवार इन दिनों अच्छी कमाई कर रहे हैं।
इस संबंध में मोहनलालगंज निवासी बृजेश बताते हैं कि मनोरंजन के बढ़ते साधनों के चलते अब बहुरूपिया और खेल-तमाशे का काम काफी कम हो गया है लेकिन अभी भी काफी परिवार अन्य कामों के साथ इस परंपरा को जीवित किए हैं। मेलों में इन कामों से अच्छी आमदनी हो जाती है। इसी के चलते लखनऊ के निगोहा, कल्लीमाती, निवासखेड़ा, बिजनौर, कोठरिया आदि गांवों के सैकड़ों घुमंतू परिवार इन दिनों मेले में डेरा डाले हैं। बृजेश बताता है की मेले के दौरान काफी अच्छी आय हो जाती है। जिससे परिवार का गुजारा आसानी से हो जाता है।

CONVERSATION

0 comments:

Post a Comment