उज्जैन, कल रात महाकाल मंदिर में अपर कलेक्टर नरेन्द्र सूर्यवंशी द्वारा की सिपाही की सरेआम पिटाई नें पूरे पुलिस प्रशासन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। यूँ तो महाकाल मंदिर में आए दिन पुलिस वालों की किसी न किसी भिड़ंत होती रहती है। लेकिन जब अपर कलेक्टर एडीएम और थाना प्रभारी की मौजूदगी में जनता के सामने सिपाही कालर पकड़ कर झापट मार दे तो यह सवाल उठना लाजमी है कि, क्या यही पुलिस सिंहस्थ जैसे महापर्व की सुरक्षा व्यवस्था संभालेगी? वर्ष में एक बार खुलने वाले नागचंनदरेशवर मंदिर के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़, सिंहस्थ में आने वाली भीड़ का का 10 प्रतिशत भी नहीं है। कल हुई शर्मनाक घटना से यह तो साफ हो गया है कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के बीच तालमेल की कमी है। लेकिन इस घटना पुलिस विभाग के मनोबल को जरूर कम किया है। हालांकि महाकाल मंदिर में vip अकसर अपने रसूख का बेजा इस्तेमाल करते रहे हैं।
कभी मुख्यमंञी की पत्नी मंदिर परिसर के अंदर तक अपनी कार से जा पहुंचती है तो कभी कैलाश विजयवर्गीय जैसे दंबग नेता अपने समर्थकों के साथ गर्भगृह के बाहर डेरा जमा लेते हैं, और प्रशासन उनकी आवभगत में लगा रहता है। और वह भी सावन सोमवार के अवसर पर, जब आम आदमी घंटों खड़े रह कर भगवान महाकाल के दर्शन का अभिलाषा रख देश दुनिया से यहां पहुंचता है। लेकिन VIP और उनके रिश्तेदारो नें महाकाल मंदिर को अपनी निजी जागीर समझ लिया है। कल की घटना इसी का VIP कल्चर का नतीजा है। अपर कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी का कहना है कि वे कलेक्टर साहाब के मेहमानों को निरगम मार्ग से दर्शन कराने ले जा रहे थे और सिपाही भंवर लाल उन्हें रोक दिया।
बदले उन्होंने उसकी कालर पकड़ कर झापट भी मार दिया। अब बताइए सिपाही ने क्या गलत किया? दूसरी सबसे अहम बात यह कि उस समय एक टीआई विवेक कनोडीया भी वही मौजूद थे, जो नपुंसकों की तरह अपने सिपाही नाजायज़ पिटता देख रहे थे। यही नहीं ADM अवधेश शर्मा भी कायरों की तरह तमाशा देख रहे थे। इस शर्मनाक घटना ने यह साबित कर दिया है कि यहां पर ऐसे लापरवाह अधिकारियों की फौज मौजूद है जिन पर सिंहस्थ जैसे महापर्व की जिम्मेदारी दी हुई है। क्या इन जैसे अधिकारी सिंहस्थ की जिम्मेदारी निभा सकते हैं?यह सवाल लाख टके का है?
कभी मुख्यमंञी की पत्नी मंदिर परिसर के अंदर तक अपनी कार से जा पहुंचती है तो कभी कैलाश विजयवर्गीय जैसे दंबग नेता अपने समर्थकों के साथ गर्भगृह के बाहर डेरा जमा लेते हैं, और प्रशासन उनकी आवभगत में लगा रहता है। और वह भी सावन सोमवार के अवसर पर, जब आम आदमी घंटों खड़े रह कर भगवान महाकाल के दर्शन का अभिलाषा रख देश दुनिया से यहां पहुंचता है। लेकिन VIP और उनके रिश्तेदारो नें महाकाल मंदिर को अपनी निजी जागीर समझ लिया है। कल की घटना इसी का VIP कल्चर का नतीजा है। अपर कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी का कहना है कि वे कलेक्टर साहाब के मेहमानों को निरगम मार्ग से दर्शन कराने ले जा रहे थे और सिपाही भंवर लाल उन्हें रोक दिया।
बदले उन्होंने उसकी कालर पकड़ कर झापट भी मार दिया। अब बताइए सिपाही ने क्या गलत किया? दूसरी सबसे अहम बात यह कि उस समय एक टीआई विवेक कनोडीया भी वही मौजूद थे, जो नपुंसकों की तरह अपने सिपाही नाजायज़ पिटता देख रहे थे। यही नहीं ADM अवधेश शर्मा भी कायरों की तरह तमाशा देख रहे थे। इस शर्मनाक घटना ने यह साबित कर दिया है कि यहां पर ऐसे लापरवाह अधिकारियों की फौज मौजूद है जिन पर सिंहस्थ जैसे महापर्व की जिम्मेदारी दी हुई है। क्या इन जैसे अधिकारी सिंहस्थ की जिम्मेदारी निभा सकते हैं?यह सवाल लाख टके का है?
0 comments:
Post a Comment