दीपावली में अपनाये सेफ्टी टिप्स !








दीपावली दीपों का त्यौहार है, इस दिन रोशनी का विशेष महत्व होता है। दीपावली का त्‍यौहार अपने साथ खुशियां लेकर आता है और इस त्‍यौहार को हम पूरी पवित्रता और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस रोशनी के त्‍यौहार को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है लेकिन लापरवाह रहने से इस पर्व का मजा किरकिरा हो सकता है। इसलिए इस समय कुछ बातों का ध्‍यान रखना बहुत जरूरी होता है। आइए हम आपको बताते है सेहतमंद और सुरक्षित दीपावली मनाने के कुछ उपायों के बारें में।








  • पटाखे जलाते समय पैरों में चप्पल या जूते जरूर पहनें।
  • पटाखे हमेशा खुले स्थान पर जलायें, कभी भी घर के अंदर या बंद स्थान पर पटाखे ना जलायें। साथ ही आसपास देख लें कि कोई आग फैलाने वाली या फौरान आग पकड़ने वाली चीज तो नहीं है।
  • पटाखे जलाते समय आसपास में पानी रखें और घर में जल जाने पर लगायी जाने वाली दवाएं भी रखें।
  • अपने चेहरे को पटाखे जलाते समय दूर रखें।
  • पटाखें को शीघ्र जलने वाले पदार्थों से दूर रखें।
  • जल जाने पर पानी के छीटें मारें।
हमेशा लाइसेंसधारी और विश्‍वसनीय दुकानों से ही पटाखे खरीदें।
  • पटाखे कभी भी हाथ में ना जलायें क्योंकि ऐसा करने से पटाखों के हाथ में फटने की अधिक संभावना रहती है।
  • विस्फोटक कभी भी हाथों में ना रखें।
  • पटाखों को दीये या मोमबत्ती के आसपास ना जलायें।
  • जब आपके आसपास कोई पटाखे जला रहा हो, तो उस समय पटाखों का प्रयोग ना करें।
  • बिजली के तारों के आसपास पटाखे ना जलायें।
  • अगर किसी पटाखे को जलने में बहुत अधिक समय लग रहा है, तो उसे दोबारा ना जलायें, बल्कि किसी सुरक्षित स्थान पर फेंक दें।
  • आधे जले हुए पटाखों को इधर–उधर ना फेकें।
  • रॉकेट जैसे पटाखे ऐसे समय में बिल्कुल न जलाएं, जब ऊपर किसी तरह की रुकावट जैसे पेड़, बिजली के तार आदि हो।    
  • पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनें, नायलॉन के कपड़े बिल्‍कुल भी न पहनें।
  • खुली फ्लेम के कारण पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्‍तेमाल बिल्‍कुल भी न करें, यह खतरनाक हो सकता है।
  • कभी भी छोटे बच्‍चों के हाथ में कोई पटाखा न दें।
  • फेफड़ों का कैंसर

    पटाखे में मौजूद पोटैशियम क्लोरेट तेज रोशनी पैदा करता है लेकिन इसके इस्तेमाल से हवा जहरीली हो जाती है। इस केमिकल से निकलने वाले धुंएं के कारण फेफड़ों के कैंसर का खतरा होता है। अगर कोई सांस का मरीज है या किसी को फेफड़ों से जुड़ी अन्य कोई बीमारी है, तो खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है।

    सांस की बीमारियां

    पटाखों में तेज धमाके और रोशनी के लिए गन पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके जलने पर सल्फर डाईऑक्साइड गैस बनती है। इस गैस के कारण पर्यावरण में प्रदूषण तेजी से बढ़ता है और सांस की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही ये गैस एसिड रेन (अम्लीय बारिश) का भी कारण बनती है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ता है। पर्यावरण में ज्यादा कार्बन डाइ आक्साइड के होने के कारण दमा रोगियों को भी परेशानी बढ़ सकती है। इन रोगियों को सांस में लेने में परेशानी होती है।

    अल्जाइमर जैसा खतरनाक रोग

    पटाखे में सफेद रोशनी पैदा करने के लिए एल्युमिनियम का प्रयोग किया जाता है। ये तत्व त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होता है। 
  • गर्भपात का खतरा

    दीवाली के मौके पर पटाखों से निकलने वाली हानिकारक कार्बन मोनोऑक्साइड गैस सांस के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकती है। इससे बच्चे को सांस संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कई बार शिशु में विकार भी पैदा कर सकता है। गर्भवती महिलाओं में कई हानिकारक गैसें गर्भपात का भी कारण बन सकती हैं।

    आंखों की समस्या

    दीपावली में पटाखों के धुएं से प्रदूषण बढ़ जाता है। इससे टॉक्सिन भी अत्यधिक बढ़ जाते हैं। इन टॉक्सिनों की वजह से आंखों पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। आंखों में जलन और उससे पानी आने की समस्याओं में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए आंखों का खास ध्यान रखें। बाहर से आने के बाद अपनी आंखों को साफ पानी से अच्छी तरह छींटे मारकर धोना चाहिए 

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