गणपति बप्पा आ रहे हैं जानिए खास बातें

Ganesh Chaturthi 2018: 


भादो मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश का इसी दिन जन्म हुआ था. भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को सोमवार के दिन मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था. इसलिए मध्याह्न काल में ही भगवान गणेश की पूजा की जाती है, इसे बेहद शुभ समय माना जाता है.



ज्योर्तिविद पंडित विनोद मिश्र के अनुसार गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या सिद्धीविनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. कुछ जगहों पर इसे पत्तर चौथ और कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन नहीं किया जाता. मान्यता है कि चंद्र दर्शन करने से इस दिन कलंक लगता है. लोक परंपरा के अनुसार इसे झंडा चौथ भी कहा जाता है.
गणेश चतुर्थी का व्रत करने से घर – परिवार में आ रही विघ्न और विपदा का अंत हो जाता है| कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य सम्पन्न होते है और भगवान श्री गणेश जी की असीम सुखो की प्राप्ति होती हैं.
इस दिन गणेश कथा पड़ने और सुनने का विशेष महत्व होता है. व्रत करने वालो को इस दिन यह कथा अवश्य पड़नी चाहिए तबी व्रत का सम्पूर्ण फल मिलता है.
पौराणिक गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं से गिरे हुए थे तब वह मदद मांगने के लिए भगवान शिव के पास गए उस दिन शिवजी के साथ कार्तिक और गणेश जी भी बैठे थे.
देवताओं की बात सुनकर भगवान शिवजी ने कार्तिक और गणेश जी से पूछा तुम दोनों में से कौन देवताओ के कष्टों का निवारण कर सकता है| तब कार्तिके और गणेश जी दोनों ने ही इस कार्य के लिए अपने को सक्षम बताया.
इस पर शिव जी ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा की तुम दोनों में से जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आयेगा वही देवताओं के साथ मदद के लिए जायेगा.
भगवान शिवजी के वचनों को सुनते ही कार्तिके अपने वाहन मोर पर बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गये| परन्तु गणेश जी सोच में पड़ गये कि वह चूहे के उपर चढ़ कर पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जायेगा.
तबी उन्हें एक उपाय सूजा और गणेश जी अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गये.
परिक्रमा करके आने पर कर्तिके स्वयं को विजेता बताने लगे. शिव जी ने गणेश जी से पृथ्वी की परिक्रमा करने का कारण पूछा तब गणेश जी ने कहा माता पिता के चरणों में ही समस्त लोक है.
यह सुनकर शिव जी ने गणेश जी को देवताओं के संकट को दूर करने की आज्ञा दी.
इस प्रकार भगवान शिव जी ने गणेश जी को आशिर्वाद दिया कि जो भी गणेश चतुर्थी के दिन तुम्हारी पूजा करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अग्र देगा उसके तीनो ताप यानि दैहिक तापदैविक ताप और भौतिक ताप दूर होंगे.
इस व्रत को करने से व्रत धारी के सभी दुःख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखो की प्राप्ति होगी.
गणेश चतुर्थी के इस शुभ अवसर पर आज हम जानेगे की क्या करना चाहिए और क्या नहीं आइये जानते है.

गणेश चतुर्थी के उपाय (क्या करना चाहिए)

#1. भगवान श्री गणेश के पूजन में मोदक का भोग जरुर लगाना चाहिए. (जन्म से ही माता श्री गणेश को मोदक खिलाती थी जोकि श्रीगणेश को बहुत अधिक प्रिय है| इसलिए आप भी जब गणेश पूजन करे तो मोदक का भोग जरुर लगाये).
#2. गणेश जी को गेंदे का फुल बहुत अधिक प्रिय है इसलिए जब भी गणेश पूजन करे तो गेंदे के फुल का प्रयोग जरुर करे

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