भोपाल.
गणेश उत्सव में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की स्थापना के लिए लगातार पहल की जा रही है। इसके लिए घर-घर सृजन, घर-घर विसर्जन अभियान भी चलाया जा रहा है। इसे लेकर शहरवासियों में भी जागरुकता आ रही है। इसके लिए एक ओर कई संस्थाएं जगह-जगह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर लोगों को गणेश प्रतिमाएं बनाना सिखा रही है, तो कई लोग भी मिट्टी के गणेश लोगों को उपलब्ध कराने के लिए अन्य शहरों से ईको फे्रंडली प्रतिमाएं मंगाकर उन्हें लागत मूल्य पर लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं।
शनिवार को भी गायत्री शक्तिपीठ की ओर से शंकर नगर शिवाजी नगर के पास बस्ती में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें गायत्री शक्तिपीठ के प्रशिक्षकों द्वारा मिट्टी, सुपारी, ड्रायफ्रूट, सुपारी, नारीयल से गणेशजी की प्रतिमा बनाना सिखाया। इस मौके पर कई लोगों ने अपने हाथों से गणेश प्रतिमाएं बनाई और संकल्प लिया कि वे गणेश उत्सव में अपने हाथों से बनी प्रतिमाएं स्थापित करेंगे और दस दिन आराधना करेंगे।
महाराष्ट्र से शाढू मिट्टी की प्रतिमाएं भी शहर में
पर्यावरण के लिए हानिकारक व जलाशय को दूषित करने वाली पीओपी की प्रतिमाओं का उपयोग कम करने को लेकर इको फे्रंडली गणेश प्रतिमा उपयोग करने के लिए देशी मिट्टी, कच्चे रंगों की प्रतिमाओँ के साथ महाराष्ट्र से शाढू मिट्टी की बनी गणेश प्रतिमाएं लोग ज्यादा पसंद कर रहे है। सेकंड स्टॉप पर रहने वाले भरत साठे व ज्योति साठे बताती है कि कई सालों से वह महाराष्ट के पेण, कोंकण में बनी प्रतिमाएं यहां लाकर लोगों को रियायती दामों पर उपलब्ध करा रहे हैं। साथ ही घरों में स्थापित होने वाली प्रतिमाओं को घर में ही विसर्जित करने के लिए प्रचार भी कर रहे हैं। महाराष्ट्र की गणेश प्रतिमाओं को लोग आस्था के अलावा उसकी डिजाइन तो लेकर भी पसंद करते हैं।
गणेशोत्सव के लिए लोगों ने तैयारी शुरू कर दी है। इस बार पर्यावरण के प्रति जागरुकता की झलक देखने को मिलेगी और कई जगह इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं स्थापित होंगी।
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