अब बैंक होंगें और भी मजबूत!

भारी एनपीए के कारण पूंजी की कमी झेल रहे सरकारी बैंकों के लिए केंद्र सरकार ने 25 अक्तूबर 2017 को दो लाख 11 हजार करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने का ऐलान किया था। मदद के साथ ही सरकार ने सुधार एवं पुनर्गठन के जरिये बैंकों को मजबूत बनाने का स्पष्ट रुख भी जाहिर कर दिया था। केंद्र ने कहा कि प्रदर्शन सुधारने वाले बैंकों को ही मदद मिलेगी।

सरकार ने इसमें एक लाख 35 हजार करोड़ रुपये बॉंड, 58 हजार करोड़ रुपये शेयरों की बिक्री और 18 हजार रुपये बजटीय राशि के तौर पर दी थी। जबकि रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक, बैंकों को मार्च 2019 तक चार लाख करोड़ रुपये की मदद की दरकार है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि विलय-एकीकरण हमेशा ही सरकार के एजेंडा का हिस्सा रहा है और पिछले साल एसबीआई के सहयोगी बैंकों का विलय इसी दिशा में उठाया गया कदम रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विलय की योजना को संसद के समक्ष रखा जाएगा, लेकिन किसी बैंकिंग कानून में बदलाव की जरूरत नहीं होगी। विलय के बाद बने बैंक के नाम पर आगे विचार करेगा, जो एसबीआई और आईसीआईसीआई के बाद तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा।अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाना होगा

केंद्र ने इस मदद के साथ कहा था कि बैंकों को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग के बेसल 3 मानकों को अपनाना होगा। उन्हें एनपीए के लिए बैलेंसशीट में प्रावधान करना होगा और ऋणग्रस्त संपत्तियों का निस्तारण करना होगा। इसमें बैंकों को तिमाही दर तिमाही प्रदर्शन सुधारने की शर्त भी थी, अन्यथा कई बैंकों के विलय का खाका भी खींचा गया था। दरअसल, वर्ष 2000 के बाद बैंकों की संकटग्रस्त परिसंपत्ति का अनुपात सबसे निचले स्तर पर है, इससे कर्ज बांटने के लिए उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है।

एक साल पहले कार्यवाही तेज हुई

बैंकों के पुनर्गठन पर राय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 अगस्त 2017 को अल्टरनेटिव मैकेनिज्म समिति के गठन को मंजूरी दी थी। ताकि राष्ट्रीयकृत बैंकों को मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। इसमें साफ कहा गया था कि विलय पूरी तरह व्यावसायिक रूप से विचार होगा। बैंकों के बोर्ड से इसकी मंजूरी ली जाएगी। बैंकों के बोर्ड से मंजूरी के बाद इसे अल्टरनेटिव मैकेनिज्म के पास दोबारा विचार के लिए रखा जाएगा। फिर बैंक सेबी और अन्य कानूनों के हिसाब से विलय की प्रक्रिया पूरी करेंगे। आरबीआई की सलाह से केंद्र फिर अंतिम अधिसूचना जारी करेगा।

चार बैंकों के विलय की खबरें थीं

जून 2018 में रिपोर्ट आई थी कि सरकार चार सरकारी बैंकों के विलय की तैयारी कर रही है। इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक, ओरियंटल बैंक और सेंट्रल बैंक का नाम था।

हालांकि अंतत: बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय का ऐलान हुआ। सरकार ने अगस्त में सरकारी बैंकों के विलय की रूपरेखा को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। इस पर आरबीआई की राय भी मांगी गई थी।

कई बैंकों में विनिवेश पर भी विचार

सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह कुछ बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 52 फीसदी तक ला सकती है। ताकि बैंकों के कामकाज में निजी बैंकों की तरह ज्यादा पेशेवर रुख दिखे और वे जवाबदेही के साथ प्रतिस्पर्धी बने रहें। एलआईसी द्वारा आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी खरीदना भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है। सरकार का कहना है कि बीमा क्षेत्र के अन्य दिग्गजों के पास अपना बैंक है। लिहाजा एलआईसी को भी इससे मदद मिलेगी।

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