भीमा कोरेगांव"पांचों आरोपी 6 सितंबर तक नजरबंद रहेंगे"

नई दिल्ली.  
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सुप्रीमहाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा केस में पुणे पुलिस ने मंगलवार को देश के 6 शहरों में छापा मारा। इस दौरान हैदराबाद से वामपंथी कार्यकर्ता-लेखक वारवरा राव और छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज समेत 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई। देर रात तक चले ड्रामे के बाद सुधा को उनके घर में ही नजरबंद किया गया है। यह कार्रवाई एल्गार परिषद और नक्सलियों के संपर्क की जांच के बाद की गई। परिषद के कार्यक्रम में 31 दिसंबर को हिंसा हुई थी। पुलिस ने इसके पीछे नक्सलियों का हाथ होने का दावा किया था। माकपा ने गिरफ्तारी और पूछताछ की आलोचना की।
एक पुलिस अफसर ने बताया कि भारद्वाज और राव के अलावा ठाणे से वेरनन गोंजालवेज, फरीदाबाद से अरुण फरेरा और दिल्ली से गौतम नौलखा को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। वहीं, रांची में स्टेन स्वामी और गोवा में आनंद तेलतुबडे से पूूछताछ की गई। अलग-अलग शहरों में छापेमारी के दौरान अहम दस्तावेज बरामद हुए। सामाजिक कार्यकर्ताओं के बैंक खातों की जानकारी भी खंगाली जा रही है। कोरेगांव हिंसा से जुड़े एक आरोपी के घर की जून में तलाशी ली गई थी। यहां से मिली चिट्ठी में वारवरा राव का नाम था।म कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार पांच वामपंथी विचारकों को जेल भेजने की बजाय 6 सितंबर तक नजरबंद रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा- असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, इसकी इजाजत नहीं दी गई तो प्रेशर कुकर फट सकता है।
पुणे पुलिस ने वरवर राव, वेरनन गोंजाल्विस, गौतम नवलखा, वकील सुधा भारद्वाज और अरुण फरेरा को नक्सलियों से संपर्क रखने के आरोप में मंगलवार को अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारियों के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर और चार आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार और अन्य पक्षकारों से 5 सितंबर तक जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता के वकील राजीव धवन ने कहा कि गिरफ्तारियां अवैध और मनमाने तरीके से की गईं। 
एक पुलिस अफसर ने बताया कि भारद्वाज और राव के अलावा ठाणे से वेरनन गोंजालवेज, फरीदाबाद से अरुण फरेरा और दिल्ली से गौतम नौलखा को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। वहीं, रांची में स्टेन स्वामी और गोवा में आनंद तेलतुबडे से पूूछताछ की गई। अलग-अलग शहरों में छापेमारी के दौरान अहम दस्तावेज बरामद हुए। सामाजिक कार्यकर्ताओं के बैंक खातों की जानकारी भी खंगाली जा रही है। कोरेगांव हिंसा से जुड़े एक आरोपी के घर की जून में तलाशी ली गई थी। यहां से मिली चिट्ठी में वारवरा राव का नाम था।
सुधा भारद्वाज की घर में नजरबंदी का आदेश : मंगलवार को छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार सुधा को पुणे पुलिस अपने साथ ले जाना चाहती थी। मजिस्ट्रेट ने सुधा की ट्रांजिट बेल एप्लीकेशन को खारिज कर दिया। लेकिन पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से सुधा को राहत मिली। हाईकोर्ट ने ऑर्डर दिया कि सुधा को पुणे नहीं ले जाया जा सकता। उन्हें 30 अगस्त तक घर में ही नजरबंद रखा जाए। सुधा के वकील संजीव चौधरी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने हाईकोर्ट का ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया। वे उन्हें साथ ले जाना चाहते थे। ये तो कोर्ट की अवमानना है। सुधा की एक अन्य वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, "न तो पुलिस ने कोर्ट के ऑर्डर का सम्मान किया, न तो ये बताया कि उन्हें कस्टडी में कहां रखा गया है। ये स्थिति काफी गंभीर है।" देर शाम सुधा मजिस्ट्रेट के घर के बाहर कार में देखी गईं। सीजेएम ने जिला जज के घर जाकर मामले पर बात की। रात करीब 1 बजे सुधा को घर में ही नजरबंद रखने की अनुमति मिली।

चिट्ठी में मोदी की हत्या की साजिश का जिक्र : पुणे पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी से मिली चिट्ठी में लिखा- ''नरेंद्र मोदी हिंदूवादी नेता हैं और देश के 15 राज्यों में उनकी सरकारें हैं। अगर वे इसी रफ्तार से आगे बढ़ते रहे तो बाकी पार्टियों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। ऐसे में मोदी के खात्मे के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। इसलिए कुछ वरिष्ठ कामरेड ने कहा है कि राजीव  हत्याकांड जैसी घटना को अंजाम देना होगा। ये मिशन फेल भी हो सकता है। लेकिन पार्टी में इस प्रस्ताव को रखा जाना चाहिए। मोदी को मारने के लिए रोड शो का वक्त 
पांच में से तीन आरोपियों की पुणे कोर्ट में पेशी : पुलिस मंगलवार रात ही राव, गोंजाल्विस और फरेरा को पुणे ले गई थी। बुधवार को इन्हें जिला अदालत में पेश किया गया। उधर, दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर दो अन्य आरोपी गौतम नवलखा और वकील सुधा भारद्वाज को नजरबंद रखा गया। 
दस्तावेज मराठी में तो ट्रांजिट रिमांड कैसे दी : दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि इन गिरफ्तारियों का आधार क्या है? इसका मेमो क्यों नहीं दिया गया? इस पर सरकारी वकील ने कहा कि दस्तावेज मराठी में थे। इस पर हाईकोर्ट ने कहा- फिर निचली अदालत ने ट्रांजिट रिमांड कैसे दे दी? इस पर सरकारी वकील ने कहा- जज के लिए दस्तावेजों का मौखिक ट्रांसलेशन किया गया था। अब इस मामले में हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने के बाद गुरुवार को सुनवाई करेगा।
बड़ी राजनीतिक हस्तियों को मारना चाहते थे : पुणे में बुधवार को पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आरोपियों के नक्सलियों से संबंध हैं। इन गिरफ्तारियों से राजनीतिक व्यवस्था के प्रति सख्त नाराजगी का पता चलता है। इस मामले में मिले कुछ सबूत बताते हैं कि सर्वोच्च हस्तियों को निशाना बनाने की साजिश थी। वे युवाओं को उकसाने में लिप्त थे। हमारे पास पुख्ता सबूत हैं। छापेमारी के दौरान लैपटॉप, पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क जब्त की गईं। 
जिस कानून के तहत गिरफ्तारी हुई, वह विवादों में रहा : ये गिरफ्तारियां गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत की गईं। यह कानून 1967 में लाया गया था। इसमें आतंकियों से संपर्क रखने या गैरकानूनी काम में शामिल व्यक्ति को वारंट बगैर गिरफ्तार किया जा सकता है। आरोपी को जमानत के लिए आवेदन का अधिकार नहीं होता। 
यूपीए सरकार के वक्त भी हो चुकी है गिरफ्तारी : वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि यूएपीए के तहत अरुण फरेरा को 2007 में भी गिरफ्तार किया गया था। उन्हें शहरी नक्सली करार दिया गया था। उन्हें सभी केसों में बरी कर दिया गया, लेकिन पांच साल जेल में बिताने पड़े। एक बार फिर फरेरा समेत पांच लोगों को शहरी नक्सली बताकर गिरफ्तार किया गया है।
रिजिजू ने याद दिलाया मनमोहन का बयान : केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने कहा, "प्रधानमंत्री रहने के दौरान मनमोहन सिंह  ने कहा था कि नक्सली देश के दुश्मन नंबर एक हैं और उनसे देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है। अब कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) खुलेआम नक्सलियों का समर्थन कर रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीति से ऊपर रखें।''
दलित संगठनों के आयोजन में हुई थी हिंसा : 1 जनवरी 1818 को भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में पेशवा बाजीराव  द्वितीय को अंग्रेजों ने हरा दिया था। कहा जाता है कि इसमें अंग्रेजों की तरफ से दलित भी लड़े थे। अंग्रेजों ने इस जीत की याद में भीमा-कोरेगांव में जयस्तंभ का निर्माण कराया। आगे चल कर यह दलितों का प्रतीक बन गया। लड़ाई की 200वीं सालगिरह के मौके पर दलित संगठनों ने 1 जनवरी को कार्यक्रम किया था। इसमें हिंसा भड़क गई। एक युवक की मौत हो गई और 50 गाड़ियों में आग लगा दी गई। 
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