सच का आईना...

दोस्तों आज व्यक्ती का विचार इतनी घृणित व स्नेह इतना काला हो गया है कि आप खुद हि मा़र्मिक व भावविभोर हो उठेगें कि क्या ये पत्रकारिता का ये चेहरा है... जब कलमकार कलम कि आवाज को बूनता है तो जो मन मस्तिष्क के द्वन्ध युद के परिणाम स्वरूप जो समझ उत्पन्न होता है वह उसी रूप को व़र्णित करता है..क्या हो रहे अन्याय के खिलाफ कलम कि आवाज को दमन कर उन चाटूकार जिनको ना हि समाज के स्तर व गिरते मनोभाव कि दशा के स्वरूप मे किसी का सहभागी बन अपने पूजा रूपी क़र्म को जो छोड देना चाहिये..जब दिल द़र्द रूपी समुन्द्र मे हो जब कलम सच के अलावे कभी किसी समयपरस्त कि जागीर न बनी हो तो क्या दबाववश कलम कि स्याही का प्रभाव धूमिल करना चाहिये ! ...क्या कलम कि आजादी को बचाने हेतू उसके अधिकार और सम्मान को प्रभाव से लागू नही होने चाहिये..आज ऐसे अनेको चेहरे है जो महिला रूपी सभ्य धरोहर को भी बेआबरू कर रही है...जहॉ नारी मॉ, बहन और सौंद़र्य रूपी पत्नी होती है जो जिंदगी न्यौछावर व सम़र्पण कर एक घर व समाज को जिवीत करती है वहि कुछ राह से भटकी नारी अपने हि स्वरूप को हनन करने पर तूली है जो किसी न किसी तरीके से दूसरो कि मान सम्मान तो क्या खुद तो स्वामिनी है चकला घर का और करती है समाज को कंलकित करने वाला का़र्य देह व्यपार रूपी धंधे का सहारा ले चंद रूपये के साथ आ जाती है समाज को उठाने व खुद नारी सुरछा व सम्मान के अधिकारों का हनन करने ...दोस्तो हम सभी को सोचना होगा जो हमारे बीच रह कर गंदगी को जन्म देता है और लोग जानकर भी अन्जान बन जाते है ,यदि हो रहे बुराई के प्रती आवाज आप नही बनते तो कहि न कहि आप भी भागीदार होते है उस गंदगी का...एक सोच व्यक्ती व समाज का स्वरूप व आईना बन सच रूपी चेहरे को दिखा सकता है..लेकिन एक लालच जन्म देता है सौ बुराइयों को मेरा भाव किसी को गलत या निचा दिखाने को नही है....बस एक आवाज बनने का है...जब कभी समाज कि बात आती है तो प्रशासन दूर नही हो सकता क्यों कि वह भी स्तम्भ है लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों कि मिली भगत कल रूपी द़़र्पण का का चेहरा भी धूँधला कर रहा है..जहॉ दूसरी तरफ  अपनी व़र्दी के सम्मान हेतू कुछ अधिकारी व सैनिक देश का गौरव व खुद को शहिद होने पर भी ग़र्व का कारण समझते है.२४ पहर सच रूपी दामन के ऑचल तले देश के मान को सौ गूना करने का काम करते है..बहुत खुशनसीब है ओ जिनको समाज के किसी जिमेदारी का हिस्सा बन कुछ कर गुजरने का मौका मिला है...तो सच रूपी ईमान ना कभी टूटता है ना कभी बिकता है ना कभी कमजोर पडता है..ओ तो हवा है जो सॉसो तले सपना बन उन्मुक्त गगन मे दौडता है..जिनकी इच्छा शक्ती कमजोर होती है ओ रूक जाते है किसी मजबूत समझ ठिकाना और दबाव तले लेकिन द़र्पण तो सच रूप का हि मापक है जो ना हि रूकता है ना हि डरता है जो सामने होता है वैसे हि उसको दिखाता है...ओ नाम है मिडीया का यदि खुद हम पत्रकार अपने निस्वा़र्थ भाव से द़र्पण रूपी काम को अँजाम दे तो ...ये बात याद जहन मे आती है ...खुदी को कर बुलंद इतनी कि खुदा भी तुझसे पुछे ये बंदे बता तेरी रजा क्या है ...दोस्तो क़र्मेण सब़र्त्र पूज्यते....क़़र्म कि पूजा सभी जगह और हर समय रहा है...बस इतना सा ख्याल मेरे मन मे आया दोस्तो मै कृष्णा पंडित अपने भाव अपने द़र्द हो रहे अन्याय के खिलाफ कलम रूपी आवाज वक्त वक्त पर उठाता रहा हूं और उठाता रहूंगा..जय हिन्द जय भारत
!! कृष्णा पंडित !!

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