सफेदा ही नहीं कालिख भी धुलेगी

ओएमआर शीट में वाइटनर ही नहीं अंक पत्रों में भी हुई हेराफेरी टीईटी 2011 की जांच से हड़कंप : प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में तैनाती पा चुके अभ्यर्थी भी दायरे में आयोग के सचिव के खिलाफ भी याचिका, सुनवाई आज राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 एक बार फिर चर्चा में है। इस बार परीक्षा के दौरान या फिर बाद में धांधली का प्रकरण चर्चा में नहीं है बल्कि अभ्यर्थी ही निशाने पर आ गए हैं। हाईकोर्ट ने ओएमआर शीट में वाइटनर प्रयोग करने वालों की सूची मांगी है और उन पर कार्रवाई करने को भी कहा है। इस जांच से जहां विद्यालयों में तैनाती पा चुके प्रशिक्षु शिक्षक बेचैन हैं, वहीं उन अभ्यर्थियों में उत्साह है जो कम मेरिट के कारण शिक्षक बनने की प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं। यही नहीं, कई अभ्यर्थियों ने मनमाने तरीके से टीईटी 2011 का अंक पत्र लगाकर नौकरी हासिल की है, सो इस जांच से वह भी बैकफुट पर हैं। प्रदेश में पहली बार टीईटी 2011 का आयोजन माध्यमिक शिक्षा परिषद ने किया था। उस समय माना गया था कि यूपी बोर्ड हर साल लाखों अभ्यर्थियों की परीक्षा कराता है, सो यह परीक्षा आसानी से करा देगा, पर इस परीक्षा में भ्रष्टाचार समेत वह सारे आरोप लगे जो आज के दौर में यहां-वहां सुने जाते हैं। परिणाम जारी होने व आला अफसरों की गिरफ्तारी के बाद सारे रिकॉर्ड पुलिस ने जब्त कर लिये थे। इसी की जांच में पुलिस को यह पुख्ता सबूत हाथ लगे कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर वाइटनर का प्रयोग हुआ था। इसके अलावा उपस्थिति पंजिका से बिना मिलान किए ही परिणाम तैयार हुआ था। यही अभिलेख अभ्यर्थियों ने जनसूचना अधिकार के तहत हासिल किए और उन्हें हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर जांच के आदेश करवाए हैं। अब माध्यमिक शिक्षा परिषद अगले महीनों में रिपोर्ट देगा। टीईटी 2011 की जांच के दौरान ही तमाम जद्दोजहद के बाद इसी परीक्षा के आधार पर शिक्षक भर्ती भी हुई। करीब 50 हजार से अधिक प्रशिक्षु शिक्षक विद्यालयों में तैनात हैं तो अधिकांश को मौलिक नियुक्ति इसी महीने मिलनी है। इस आदेश से वह भी जांच के दायरे में आ गए हैं। उधर जो अभ्यर्थी मेरिट में पीछे छूट गए उनमें एक नई उम्मीद भी जगी है कि शायद अब रास्ता मिल जाए। आरटीआइ का नहीं मिला जवाब : शिक्षक पात्रता परीक्षा 2011 के परिणाम में बड़ी खामी जरूर हैशायद इसीलिए स्थानीय अफसरों से लेकर शासन तक के आला अधिकारी जनसूचना अधिकार का जवाब देने से बच रहे हैं। टीईटी मोर्चे के संजीव कुमार मिश्र ने डेढ़ साल पहले बेसिक शिक्षा परिषद, सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं निदेशक एससीईआरटी से पूछा था कि टीईटी में 100 अंक से अधिक पाने वाले और संशोधित परिणाम के बाद 100 अंक से अधिक पाने वाले कितने अभ्यर्थी थे, इसका जवाब आज तक आयोग ने नहीं दिया है।राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव की योग्यता को लेकर मामला अभी विचाराधीन ही है कि सचिव पद भी विवादों में आ गया है। हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया है कि सचिव रिजवानुल रहमान अपने पद की योग्यता नहीं रखते। मांग की गई है कि उन्हें काम करने से तत्काल रोका जाए। शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई होगी। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अयोध्या प्रसाद सिंह की ओर से दाखिल इस याचिका में आधार लिया गया है कि आयोग में सचिव का पद आइएएस स्तर का है। भारत सरकार ने यह योग्यता निर्धारित कर रखी है। यह भी निर्धारित है कि इस पद को सुपर टाइम स्केल वाला अधिकारी ही धारित कर सकता है। वर्तमान सचिव अगस्त-14 से इस पद पर काम कर रहे हैं जो इस पद के योग्य नहीं हैं। वह परिवीक्षा अधिकारी के रूप मेंकार्यरत रहे, जो यूडीए स्तर का पद है। मांग की गई है कि उनकी नियुक्ति को अवैध करार दिया जाए।

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