बुन्देली भाषा के राष्ट्रीय सम्मेलन में दूर-दूर से जुटे साहित्यकार

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कोंच ने भी दर्ज कराई उपस्तिथि

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पारसमणि अग्रवाल ने किया कोंच का प्रतिनिधित्व

कोंच(जालौन) कोंच को साहित्यिक पटल पर एक नई पहचान एवं कोंच में रचे जा रहे साहित्य का डिजिटलीकरण करने को प्रयासरत टीम नित्य नए आयाम गढ़ने का कार्य कर रही है और लगभग आधा सैकड़ा रचनाकार कोंच में होने के बाबजूद कोंच की साहित्यिक पटल पर अनदेखी की जा रही है साहित्य पटल पर जिस सम्मान का हकदार कोंच है उसे उसका सम्मान दिलाने के लिये पारसमणि अग्रवाल की युवा टीम पूरी लग्नशीलता के साथ जुटी हुई है। अखिल भारतीय बुन्देली साहित्य व संस्कृति परिषद भोपाल के बैनर तले भगवान रामराजा की नगरी में ओरछा नवाब श्रीमंत मधुकर शाह जू देव के महल (होटल रिवर्स साइड) में आयोजित दो दिवसीय बुन्देली भाषा के राष्ट्रीय सेमिनार में बुन्देलखण्ड के समस्त जिलों के साथ दूर-दूर से भी साहित्यकारों ने सहभागिता की। भोपाल एवं हैदराबाद सहित कई जगह के बुन्देली प्रेमी सम्मेलन में उपस्थित रहे। सम्मेलन में कोंच ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। और सम्मेलन के अंतिम सत्र में बुन्देली भाषा को संविधान की 8 वीं अनुसूची में जोड़ा जाये। बुन्देली भाषा हम सब की माँ है इसलिये अपनी माँ की रक्षा करेंगे सहित आधा दर्जन प्रस्तावों पर लिखित सहमति दर्ज कराई। बुन्देली भाषा के राष्ट्रीय सम्मेलन में कोंच का प्रतिनिधित्व का दायित्व पारसमणि अग्रवाल ने सम्भाला। खास बात तो यह रही कि तमाम जगहों से उपस्तिथ हुये रचनाकारों में  कोंच का प्रतिनिधित्व कर रहे पारसमणि अग्रवाल सबसे कम उम्र के प्रतिनिधि रहे कार्यक्रम के समापन अवसर पर ओरछा नरेश श्रीमन्त मधुकर शाह जू देव एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश मड़बैया द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। एक मुलाकात के दौरान पारसमणि अग्रवाल ने बताया कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी के समाजकार्य विभाग में कार्यरत डॉ नईम बॉबी के सहयोग से इस सम्मेलन में उपस्थित रहने का अवसर मिला हमारी टीम कोंच को एक साहित्य पटल पर एक नई पहचान दिलाने के लिये प्रयासरत है।

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