सवाल दाल का नही सरकार के चाल का.......

आया चूनाव आ गईले नेता जी  वादे पे वादे मगर समय भी गबाह बन उनकी जूबान और ब्यानबाजी पे तोहमत लगाने को तैयार जब मँहगाई के संदँभ मे जब कई लोगो से बात कि तो कई लोगों के ऑखो मे ऑसू भी आ गये कि दाल मिलता थो बिना सब्जी के भी चावल व रोटी खाया जा सकता था लेकिन आज के सरकार ने दाल तो पिकनिक व त्यौहार पर बन जाये तो तडका का काम होता है चुनाव से पहले तो मँहगाई कम करने व गरीबो का ख्याल कर समान्य लोग भी जी सके ऐसी हि सिपेहकारों ने वादा किया मगर समय ने फिर उनको ला खडा कर दिया वहि जहॉ वादे की दुकान तो है मगर सामान हि नहीं मै कृष्णा पंडित जिसकी ऑखे खुद इतनी नम हो गई दोस्तों कि दाल खाना एक गरीब का सपना जैसा हो गया है और आज हम लोग चॉद पर रहने व जाने कि बात कर खुद को गौरव का कारण समझते है कोई परेशान है दाने दाने को लेकिन आज यहॉ जो बडी बडी बात कर गुमराह कर खुद कि रोटी बनाने का काम कर रहे है जब सरकार को पता है गरीबो कि गरीबी रेट तो फिर भी उन गरीबो का क्या दोष बात यहि नहीं थमी कुछ ने तो बताया कि सब्जी न बना पाने के कारण हि दाल का सहारा था मगर आलम यह है कि प्रत्येक माह १० रूपये कि वृदि ने आज गरीबो का जीने की उम्मीद को भी दे मारी उनका तो सरकार व खुद से विश्ववास जूदा दिखा जहॉ पिने का पानी भी २० रू लीटर बिक रहा हो वह देश है मेरा येसा देश है मेरा जब बादों पर नजर डालो तो नेताओं व अधिकारियों कि सम्पती को तो दूगना या चौगूना नही बल्की बढोतरी का कोई दर हि नही और हमारे देश का एक नागरिक दाल पाना भी सपना जैसा मान रहा है इस लेख के माध्यम से सरकार कि ध्यान को थोडा जमीनी हकीकत से रूबरू कराकर अपनी भारत माता की शान व पहिचान को जिंदा रख कितनों कि दुनियॉ मे थोडा खुशी लाया जा सके दोस्तो जब बादे हि खोखले हो तो करने वाला कितना मजबूत होगा तो अपनी सूझ बूझ से हि सही व्यक्ती का चूनाव कर कल को सुरछित किया जा सके..आपका साथी
कृष्णा पंडित वाराणसी
9889187040

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