प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने विवादास्पद मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया है. कुरैशी कथित कर-चोरी और हवाला जैसे कारोबारों को लेकर जांच एजेंसियों की जांच के घेरे में है.
एजेंसी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नया मामला दर्ज किया है जिसके तहत कारोबारी के खिलाफ कार्यवाही अब फौजदारी कानूनों के तहत होगी. फिलहाल, जांच विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और आयकर कानून के तहत की जा रही है जो दीवानी प्रकृति के हैं.
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने कुछ समय पहले यहां एक स्थानीय अदालत में कथित करापवंचन मामले में कुरैशी के खिलाफ आयकर विभाग के आरोपपत्र को संज्ञान में लेने के बाद नये आरोप दर्ज किये हैं.
उन्होंने कहा, ‘एजेंसी द्वारा अधिसूचित नये नियम कहते हैं कि किसी मामले में अगर अभियोजन चलाने वाली एजेंसी (यहां कर विभाग) ने किसी सक्षम अदालत में कोई शिकायत दाखिल की है और अदालत ने इसे विचारार्थ स्वीकार कर लिया है तो मामला पीएमएलए के तहत जांच के लिए लिया जा सकता है.’ ईडी ने इस साल फेमा के तहत इस मामले को लिया था. इससे पहले आयकर विभाग ने दस्तावेज साझा किये थे जिनमें कारोबारी और यहां उसके कारोबारी प्रतिष्ठानों द्वारा कथित विदेशी विनिमय कानूनों के उल्लंघन और हवाला कारोबार के संकेत मिले थे.
इससे पहले मोइन कुरैशी के मामले को लेकर सीबीआई के एक पूर्व निदेशक भी सवालों के घेरे में आ चुके हैं. आरोप लगे थे कि सीबीआई के एक निदेशक से मोइन कुरैशी के रिश्ते काफी प्रगाढ थे।
1995 जम्मू धमाका: आतंकी गुलाम नबी को उम्रकैद की सजा
दिल्ली-
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू में साल 1995 में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले के आरोपी हिजबुल आतंकी गुलाम नबी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. बुधवार को कोर्ट का यह फैसला ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर आया है. ट्रायल कोर्ट ने आतंकी को बरी कर दिया था.
गौरतलब है कि 1995 में गणतंत्री दिवस समरोह के दौरान हिजबुल मुजाहिद्दीन ने सीरियल धमाकों को अंजाम दिया है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में आतंकी गुलाम नबी को दोषी ठहराया था. शीर्ष अदालत ने उसे बरी करने के निचली अदालत के फैसले को पलट दिया. गुलाम नबी पाकिस्तानी नागरिक है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुलाम नबी द्वारा सीबीआई के समक्ष दिए इकबालिया बयान के आधार पर अपना फैसला सुनाया है. पीठ ने कहा कि आरोपी का इकबालिया बयान एक महत्वपूर्ण साक्ष्य होता है और इसके आधार पर उसे दोषी ठहराया जा सकता है. नबी को टाडा के तहत दोषी ठहराया गया।
रिपोर्ट -ऋषि राज
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