बनारसी कुल थूकिहन सगरो

बनारसी कुल थूकिहन सगरो
घुला के मुंह में पान,
का ई सुनत बानी,
अब काशी बन जाई जापान?

जब देखा तब बिजली रानी,
कहीं घूम के आवत बानी,
मुंह चिढ़ा के चल जाई पानी,
बनल हौ भुतहा घर-दुआर,
उपर से रेगिस्तान,
का इ सुनत बानी,
अब काशी बन जाई जापान?

शहर क आधा रोड खनल हौ,
सगरो कूड़ा भरल-पड़ल हौ,
नरिया के उपर हलुवाई,
छानत हौ पकवान।
का ई सुनत बानी,
अब काशी बन जाई जापान?

गजब हौ भागम-भाग सड़क पर,
कब न दुपहिया मार दे टक्कर,
जरको चुकबा, जइबा उप्पर
जइसे रोड इ नाही, कउनो
रेस क हौ मैदान
का इ सुनत बानी,
अब काशी बन जाई जापान?

लगल हौ सगरो खुमचा-ठेला,
खूब बिकत हौ अंडा-केला,
जाम में ला फिन घन्टन झेला,
' बिचवें में फॅंस गयल हौ मुर्दा,
पहुंची कब श्मशान?'
का इ सुनत बानी,
अब काशी बन जाई जापान!!

By - Sheru Khan

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