मौत की सिफारिश का हुआ विमोचन
कोंच- नगर के उभरते व नव नयन की उपाधि से अलंकृत युवा साहित्यकार पारसमणि अग्रवाल द्वारा लिखी एकांकी मौत की सिफारिश का विमोचन स्थानीय मथुरा प्रसाद महाविधालय में किया गया। दर्जनों छात्र छात्राओ की मौजूदगी में मौत की सिफारिश लोगों के सामने आई।
पारसमणि अग्रवाल ने बताया कि मौत की सिफारिश उनकी दूसरी एकांकी है इसके आलावा उनकी कलम से राष्ट्रीय परम्परा नामक एक एकांकी का भी सृजन किया जा चुका है
उन्होंने मौत की सिफारिश के विषय में बात करते हुये बताया कि बदलते समय के साथ बदलते भारत ने मन में सवालों का तूफान उठाकर अपनी लेखनी को समय के साथ इस आशा और विश्वास के साथ चलाने को मजबूर कर दिया कि आधुनिक चकाचौन्ध की पट्टी अवाम के आँखों से हटाकर मेरी लेखनी उन्हें सचेत करने का काम करेगी। युवा देश कहलाने वाले भारत के राजनैतिक दलदल में युवाओं का ही शोषण चरम सीमा पर है। राजनीति की स्वार्थनीति में बदलती परिभाषा में युवाओं को मोहरा बनाकर सत्ता हथियाने का घिनोना काम किया जा रहा है जो दुर्भाग्य पूर्ण और निंदनीय है स्वार्थ के दैत्य ने हमारे जिम्मेदारों को इस कदर घेर रखा है कि वह लाभ को देखते हुये युवाओं को मीठी मीठी बातों के अपने मायाजाल में फंसाकर कानून का मजाक बनाने हेतु उत्साहवर्धन करने में लगे हुये है।आधुनिकता की चकाचोंध में हमारे नेता ऐसे अन्धे हो गए कि वह ये भूल रहे है कि पार्टी के नेतृत्व को अपने पास युवाओं की लम्बी फौज दिखाने और अपने जिंदाबाद के नारे लगवाने के लिये वह मासूम युवाओं की जिंदगी से खेल रहेहै नियम जनता को सुरक्षा एवं अन्य प्रकार के लाभ देने के लिये बनाये जाते है। उन्होंने कहा हास्यपद बात तो यह है कि हमारे नेता प्रजातंत्र के मन्दिरों में बैठकर इन नियमो का सृजन करते है और ये ही नेता मन्दिरो से बाहर बैठकर अपने बनाये हुये नियमो का खण्डन कर तू डाल डाल मै पात पात का खेल खेलने में लगे हुये है इन्हीं बातों को नजर रखते हुये मौत की सिफारिश की रचना की गयी है।
By - Paras Mani
0 comments:
Post a Comment