:कई घर बर्बाद कर रहा सफेदपोशों के संरक्षण में चल रहा सट्टा जाल

उरई। सट्टे के फलने फूलने से कई घर तबाही के शिकार हो चुके हैं। बर्बादी की इंतहा के बाद परिवार के सदस्यों को भूख से तड़पते न देख पाने की वजह से सट्टे के कई लती तो खुदकुशी तक कर बैठे। फिर भी सट्टे के राक्षस का अंत करने की कोई नहीं सोच पा रहा।
कस्बेे में सट्टे ने हाल के दिनों में फिर मजबूती से पैर जमा लिये है। इसमें सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े सफेदपोश नेता शामिल है।
जिसकी वजह से पुलिस सटोरियों पर हाथ डालने से हिचकती है। यही कारण है कि बेखौफ होकर कई प्रमुख जगहों पर खुले आम पर्चियां लिखी जा रही है। जिसमें मुसिफ कोर्ट के सामने, बस स्टैण्ड के पीछे, इलाहाबाद बैक के पास, नगर पालिका स्कूल के पास, बम्बई वाले मंदिर के पास, रापट गंज में रमजानी कबाड़ी के पास मैदान में, मोहल्ला तोपखाना में वारिस टायर वालों के मकान के पास और सब्जी मण्डी प्रमुख हैं।

सट्टे का नम्बर लगाने वालों में सबसे ज्यादा गरीब गुरबा तबके के लोग है। जिन्हें लगता है कि नम्बर खुल गया तो उनकी तमाम परेशानियां दूर हो जायेगी और इसी में वे सट्टे के दलदल में इतने धसते चले जाते है कि फिर कभी उबरने की गुन्जाइश नहीं रहती और तब आत्महत्या ही उन्हें एक मात्र विकल्प सूझता है। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कामरेड कमलाकांत वर्मा का कहना है कि सटोरियों से ज्यादा बड़ा समाज विरोधी कोई नहीं होता लेकिन पुलिस में उनके खिलाफ अभियान चलाने की इच्छा शक्ति नहीं रह गयी है। जिससे समाज का तानाबाना तेजी से बिखर रहा है। उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से सट्टा के विरोध में नगर में धरना प्रदर्शन जल्द ही आयोजित करने की घोषणा की है।

गौरतलब यह है कि नवागन्तुक प्रभारी निरीक्षक ए.के.सिंह ने शनिवार को आधा दर्जन सटोरियों को गिरफ्तार करके सट्टा कारोबार की कमर तोड़ने की जो कोशिश की थी वह सत्तारूढ पार्टी के नेताओं की शह की वजह से नाकामयाब हो गयी। हालांकि ए.के.सिंह का कहना है कि वे सट्टे के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे। कोतवाल चाहे कुछ दाबा करे लेकिन जिस तरह से आज सट्टे की पर्चियां फिर खुले आम लिखी गयी उससे साफ जाहिर हो जाता है कि पुलिस का कितना जोर सटोरियों पर है।

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