काहे के नियम कानून, खाते पीतो को बांट दिये इन्द्रावास

उरई। इसे मानवता कहें या भ्रष्टाचार लेकिन गरीबो की योजनाओं में जिस तरह से अधिकारी और ग्राम स्तर के कर्मचारी खाते पीते लोगों पर पसीज रहे है उससे साफ जाहिर है कि कोई न कोई बड़ा गोल माल पूरे जिले में एक साथ चल रहा है। शायद जनपद के उच्चाधिकारियों की भी इसमें पूरी मिली भगत है। तभी तो आये दिन किसी न किसी गांव से गरीबों के लिये आवास योजना में गड़बड़ी की शिकायत आने का सिलसिला जारी है लेकिन प्रशासन कार्रवाई के नाम पर अभी तक कुछ नहीं कर पाया है।

 विकास खण्ड कुठौंद के अन्तर्गत ग्राम हाजीपुर के भुक्तभोगी आज कलेक्ट्रेट में ऐसी ही शिकायतों का पुलिन्दा लेकर आ पहंुचे। डीएम की अनुपस्थिति में उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को उदाहरणों के साथ बताया कि किस तरह गरीब आवास योजना में उनके गांव में मनमानी की गयी है। शिकायत कर्ता रामशंकर के अनुसार सतेन्द्र पुत्र लालाराम के पास 10 बीघा खेती है और पक्का मकान भी जाहिर है कि वे किसी भी मानक में इन्द्रावास के हकदार नहीं हो सकते। ऊपर से तुर्रा यह कि सतेन्द्र के पिता लालाराम को भी एक बार आवास मंजूर हो चुका है और नियमानुसार एक ही परिवार में दो लोगों को योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता। पर जैसे मानक की परवाह किसी को नहीं है और इसकी माॅनीटरिंग भी कहीं नहीं होती।


 गौरतलब यह है कि सतेन्द्र की मां रामकेसरी ग्राम सभा की सदस्य भी है। इस नाते भी उन्हें आवास मिलना सम्भव नहीं है। गत 7 जुलाई को तहसील दिवस में भी इसका प्रार्थना पत्र दिया गया था लेकिन आज तक कोई जांच नहीं हुयी। निराशा प्रकट करते हुये रामशंकर ने कहा कि प्रधान की कारगुजारियों से झोपड़ी वालों को पक्के मकान का मालिक बनाने का सरकार का मंसूबा पूरी तरह फेल हो चुका है।


 ध्यान रहे कि इसके पहले भी कई गांवों से इन्द्रावास और लोहिया आवास के वितरण में दुस्साहसिक गड़बडि़यों की शिकायत आ चुकी है। जिसमें यह बात भी प्रकाश में आयी थी कि डीआरडीए के पीडी तक लेनदेन की वजह से सारे मानक ताक पर रखकर अपात्रों को आवास दिलाने में भूमिका निभा रहे हैं। कमाल है कि इस पर भी न तो किसी भी प्रधान और सचिव पर कार्रवाई हुयी और न ही यह धांधलियां रोकी जा सकी।

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