दो वर्ष आठ माह तक बगैर वेतन व मानदेय के काम करता रहा दागी लिपिक

उरई(एसएनबी)। डीपीओ कार्यालय में तैनात दागी संविदा लिपिक श्याम नारायण फरवरी 2008 से सितंबर 2012 तक मानदेय के स्थान पर वेतन लेते रहे। संविदा कर्मी को उस समय 8 हजार 500 रूपये मानदेय दिया जाता था। जबकि दागी लिपिक द्वारा लगग 14 हजार रूपये का वेतन चार वर्ष सात माह तक लिया गया। जो सरकारी धन के गबन की श्रेणी में आता है। सरकारी धन के गबन के आरोपी दागी लिपिक द्वारा अक्टूबर 2012 से वेतन व मानदेय दोनो ही देना बंद कर दिया।

इसके बाद इनके द्वारा दो वर्ष आठ माह तक विभाग की मुफ्त सेवा की गई। जून 2015 से अब इनके द्वारा मानदेय लेना शुरू किया गया है। सरकारी धन के गवन के मामले में अब तक डीपीओ द्वारा इसके खिलाफ निदेशालय व शासन को क्यों नहीं लिखा गया यह जांच का विषय है। जांच इस बात की होनी चाहिये कि इतने दिनों तक वेतन व मानदेय न लेने के बाद ी आखिर दागी लिपिक के परिवार का रण पोषण कैसे होता रहा। वैसे इसके घर में विलासिता का हर सामान मौजूद है।

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