उच्चाधिकारियों के नाम पर चल रहा अवैध ऊगाही का खेल

उरई(एसएनबी)। मुख्यालय की परियोजना का सबसे अधिक रेट है। उसके बाद मुख्यालय से नजदीक की और सबसे कम रेट है इन्टीरियल की परियोजना का। जी हां ये रेट तय किये गये है। जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के इस पूरे आपरेशन को अंजाम देता है। डीपीओ को सबसे विश्वासपात्र व दागी संविदा लिपिक श्याम नारायण, जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार श्रीवास्तव द्वारा हर परियोजना के रेट तय किये गये है। मुख्यालय उरई परियोजना का रेट सबसे अधिक 50 हजार रूपये है। इसके बाद मुख्यालय से लगी कोंच व जालौन परियोजना का रेट 30 से 40 हजार रूपये है। मुख्य सेविकाओ द्वारा इन परियोजनाओ को खरीदा जाता है। इतना ही नहीं आयोग से चयनित जिले में चार-चार सीडीपीओ है इसके बाद संविदा सीडीपीओं को बडी व दो-दो परियोजनायें दी गई है। प्रत्येक 6 माह में परियोजना बदलने के लिये डीपीओ द्वारा यह बसूली का खेल खेला जाता है।

कई सीडीपीओं व मुख्य सेविकाओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डीपीओ द्वारा जिले के उच्चाधिकारियों के नाम पर अवैध वसूली की जाती है। प्रत्येक मीटिंग व कमिश्नर के दौरे को लकर मुख्य सेविकाओं से पैसा लिया जाता है। इस पूरे आपरेशन की कमान संाल रखी है डीपीओ कार्यालय में तैनात दागी संविदा लिपिक श्याम नारायण ने। सीडीपीओ व मुख्य सेविकाओ को मनमाफिक तैनाती के लिये दागी लिपिक से ही सौदा तय करना होता है। वैसे दागी संविदा लिपिक श्याम नारायण को डीपीओ कार्यालय की जगह जेल में होना चाहिये। क्योंकि इसके द्वारा संविदा पर तैनात होने के बाद मानदेय की जगह वेतन लेकर सरकारी धन के गवन का आरोप है। लेकिन डीपीओ का आर्शीवाद मिलने पर वह पूरा जिला कार्यक्रम विभाग चला रहा है।

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