तीन तलाक़ पे बहस !

नई दिल्ली. तीन तलाक को गैर-कानूनी करार देने से जुड़े नए विधेयक पर गुरुवार को लोकसभा में चर्चा शरू हुई। हंगामे के बीच केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में बिल पेश किया। वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिल को ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की। हालांकि, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बिल पर चर्चा शुरू करा दी। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा- कांग्रेस अगर चाहती तो यह बिल 30 साल पहले पास करा सकती थी। लेकिन, उसने बंटवारे की राजनीति को प्राथमिकता दी। यह बिल इससे पहले दो बार लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन दोनों मौकों पर यह राज्यसभा में अटक गया। इस बार सरकार चाहती है कि 8 जनवरी को संसद सत्र खत्म होने से पहले इसे दोनों सदनों से पारित करा लिया जाए।


 


खड़गे ने कहा- बिल का गहन अध्ययन करने की जरूरत
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "तीन तलाक से जुड़ा बिल महत्वपूर्ण है, इसका गहन अध्ययन करने की जरूरत है। यह संवैधानिक मसला है। मैं अनुरोध करता हूं कि इस बिल को ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया है।" ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी (संयुक्त प्रवर समिति) में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। यदि कोई सदस्य किसी बिल में संशोधन का प्रस्ताव पेश करता है तो उसे ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाता है। इस कमेटी के सदस्यों में कौन शामिल किया जाएगा, इसका फैसला सदन करता है।


 


सरकार ने कहा- यह बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं
केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दुनिया के 20 से अधिक इस्लामिक मुल्कों में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया गया है। एफआईआर का दुरुपयोग न हो, समझाैते का माध्यम हो अौर जमानत का प्रावधान हो, विपक्ष की मांग पर ये सभी बदलाव बिल में किए जा चुके हैं। यह बिल किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है। जब यह संसद दुष्कर्मियों के लिए फांसी की सजा की मांग कर चुकी है तो यही संसद तीन तलाक को खत्म करने की आवाज क्यों नहीं उठा सकती?  


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