नई दिल्ली: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में संविधान पीठ ने सुनवाई की. आरक्षण विरोधी याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि आरक्षण का कानून बिना बहस के ही दोनों सदनों से पारित कर दिया गया, यह कितना खतरनाक है.
याचिकाकार्ताओं ने कहा कि अब तो गुर्जर अपने लिए अनुसूचित जाति के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं. क्रीमी लेयर बराबरी के सिद्धांत का मूल है. नागराज के फैसले को तभी आगे भेजा जाए जब उसका मूल कमजोर हो. संतुलन के बगैर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. यह राज्य का दायित्व है कि वह संतुलन बनाए रखे. जहां तक प्रोन्नति में आरक्षण की बात है तो वह पोस्ट के हिसाब से गिना जाएगा कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व है कि नहीं.
E&E न्यूज़
रिपोर्ट
–शिखा वर्मा
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