सियासी दलों के चंगुल में युवा लोकतंत्र


आज हमारा देश विश्व का सर्वाधिक युवा देश होने के गौरव से विभूषित है और चूंकि हम विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का आत्मसम्मान लिए दुनिया में घूमते हैं इसलिए हम यह भी कह सकते हैं कि हम विश्व के सर्वाधिक युवा आबादी वाले लोकतंत्र हैं | जब हम भारत के इस लोकतांत्रिक माहौल में युवाओं की स्थिति देखते हैं तो हमें यह ध्यान में आता है कि भारत का युवा आज के दौर में येन केन प्रकारेण राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों के चंगुल में फंसा दिखाई पड़ता है, कभी कोई इसे बेहतर भविष्य देने का वादा करके ठगता है तो कोई इसे आरक्षण का लालीपॉप दिखाकर लूटने की कवायद करता है और इन सबके बीच हमारे देश का लोकतांत्रिक मूल्य रखने वाला युवा भविष्य की चकाचौंध भरी जिंदगी की आशा लिए राजनीतिक दलों का पिछलग्गू बना नजर आता है उसे भविष्य ने इस हद तक घेर रखा है कि वह अपना और अपने देश के युवा लोकतंत्र के दम घुटते वर्तमान को देख ही नहीं पा रहा है, वह देश के वर्तमान को ठीक करने के बजाय जुलूस, तथाकथित आंदोलन और धरना करने में मस्त है, वह कभी तो किसी की सरकार बनने पर सोशल मीडिया पर क्रांति ला रहा है तो किसी की हार पर बेईमानी ईमानदारी की कसौटी तय कर रहा है और कभी किसी नेता के जेल जाने पर बाजार बंद करवा रहा है तो कहीं किसी के जेल से रिहा होने पर पटाखे फोड़ कर उत्सव मना रहा है और इस प्रकार वह भारतीय लोकतंत्र के इस जश्न में इतना डूब चुका है कि वह समझ ही नहीं पा रहा है कि यह लोकतंत्र का जश्न नहीं है बल्कि सत्ता और कुर्सी के लिए पागल हुए लोगों का जलसा है इसमें तुम्हारी बस इतनी अहमियत है की जब वोट लेना होगा और झंडाबरदारी करवानी होगी तभी तक तुम्हारी जरूरत है, उसके बाद चाय में गिरी मक्खी की तरह तुम्हें निकाल कर फेंक दिया जाएगा और यह पहली बार नहीं हो रहा है बल्कि इससे पहले भी ऐसा ही होता रहा है और आगे भी होता रहेगा तब तक जब तक कि तुम अपने तर्क करने की प्रवृत्ति को संचालित तथा क्रियान्वित नहीं करोगे देश के वास्तविक हित के लिए , और यह तुम्हें करना ही पड़ेगा नहीं तो यूं ही दो प्लेट कचौड़ी खा कर चाय पीने वाले क्रांतिकारी युवा बनकर रह जाओगे,.और इसलिए अभी भी समय है कि राजनीतिक दलों के दलदलवादी सोच से निकलकर भारत के निर्माण के विषय में सोचो और अभी बहुत देर नहीं हुई है अपने कार्यों में लग जाओ क्योंकि युग तुम्हारा है और तुम ही से आशा है.

आलोक  शुक्ल जोरदार
M. A. राजनीति विज्ञान,BHU
M.A. इन ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म, FIeMITS, MCRP लखनऊ
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