गीतों और नाटकों से समाज में बदलाव लाया जा सकता है-प्रदीप जैन


* इप्टा की ग्रीष्मकालीन नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ समापन*

कोंच। इप्टा के रंगकर्मी अपनी कला के माध्यम से सामाजिक विषमता और शोषण रूपी अंधेरे की छाती को चीरकर समाज में बदलाव ला सकते हैं, वे अपने गीतों और नाटकों के माध्यम से उस आम आदमी की पीड़ा को दूर कर सकते हैं, जो पूंजीवादी व्यवस्था, शोषण और भ्रष्टाचार द्वारा पैदा की गई परेशानियों से जूझ रहा हैं इप्टा उस आदमी की पीड़ा को कहने का मंच है जो अपनी रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। उपरोक्त विचार रंगकर्मी मिताली दुवे स्मृति रंगमंच स्थल (शिवनारायण धाम बड़ा मील) में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) कोंच द्वारा आयोजित एक माह की ग्रीष्मकालीन नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रस्तुतीकरण एवं सम्मान समारोह के अवसर पर कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण राज्य मंत्री भारत सरकार प्रदीप जैन आदित्य ने व्यक्त किये उन्होंनें कहा कि इप्टा एक जन आन्दोलन, जिसमें समाज के प्रत्येक मेहनतकश और ईमानदार व्यक्ति को जुडना चाहिये। एक रंगकर्मी को कभी भी संघर्ष से पीछे नहीं हटना चाहिये इप्टा की आवाज आम जनता की आवाज है।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश ने कहा कि इप्टा का इतिहास भारत के सांस्कृतिक आंदोलन का इतिहास है, जिसका जन्म बंगाल के अकाल की कोख से हुआ। उन्होंने कहा कि इप्टा का नामकरण देश के मशहूर वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने किया। इप्टा ने लोगों ने स्वरों को जिंदगी के सुरों से बांधा है। जिस प्रकार बंगाल के अकाल के समय मुनाफाखोर वस्तुओं को संग्रहित कर कृत्रिम अकाल की स्थितियों को पैदा कर रहे थे, उसी प्रकार आज के हालात हैं। उन्होनें कहा कि हम उस परम्परा के वारिस हैं जो कबीर, बुद्घ, गांधी, अम्बेडकर, माक्र्स, भगतसिंह, मंगलपांडे की परम्परा है, जो इंसानियत समानता और लोगों की बराबरी के अधिकार के लिए जिये और मरे। उन्होने इस बात पर चिंता जाहिर की कि जिस राम का नाम लेते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने प्राण त्यागे थे, आज उसी गांधी को विस्मृत कर उनके हत्यारे को महिमामंडित करने की कोशिशें की जा रही है। आज की राजनीति द्वारा वर्तमान समय का उल्टा इतिहास लिखा जा रहा है तथा उलटी संस्कृति विकसित की जा रही है। आम जनता के संघर्ष के राग को बेसुरा किया जा रहा है, ऐसे में इप्टा अमन, मुहब्बत और क्रांति का परचम लहराने का काम करती है। इप्टा के प्रांतीय महासचिव सन्तोष डे ने रंगकर्मियों की बड़ी संख्या में उनकी प्रस्तुतियों पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि कोंच इप्टा की तरह ही इप्टा का कारवां हर नगर, हर गांव मेें बढ रहा है। इप्टा के राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य डॉ. सतीश चन्द्र शर्मा ने मौजूदा दौर में बाल रंगमंच की आवश्यकता पर बल दिया, वहीं झांसी इप्टा इकाई के अध्यक्ष डॉ. इकबाल खान ने कहा कि सामाजिक प्रतिरोध की परंपरा का पालन इप्टा के रंगकर्मी अपने नाटकों और गीतों के माध्यम से करते हैं। नगर पालिका परिषद् कोंच के चेयरपर्सन प्रतिनिधि विज्ञान विशारद सीरौठिया ने कहा कि रंगकर्मियों को आलोचनाओं से घबराना नहीं चाहिये, आज का समाज गिरगिटी समाज है जो मौका बदलते ही अपना चेहरा, चाल, चरित्र बदल लेते हैं। कार्यक्रम को डॉ. एके श्रीवास्तव, आतिपु इमरोज, बलवान सिंह यादव पूर्व जिला पंचायत सदस्य झांसी, लखनऊ इप्टा के अध्यक्ष प्रदीप घोष, उरई इप्टा के अध्यक्ष देवेन्द्र शुक्ला ने भी सम्बोधित किया।

नाटय कार्यशाला 2016 के समापन अवसर पर इप्टा कोंच द्वारा प्रो. जीतेन्द्र रघवंशी स्मृति नाट्य लेखन सम्मान इप्टा कोंच के संरक्षक टीडी वैद को, जुगलकिशोर स्मृति नाट्य निर्देशक सम्मान हारुन हैदर कादरी को, डॉ. वीणा श्रीवास्तव स्मृति संगीत सम्मान तलत खान को, श्रीमती शान्तिदेवी जैन स्मृति समाजसेवा सम्मान राधेकृष्ण श्रीवास्तव को, कु. मिताली दुवे स्मृति रंगकर्मी सम्मान अनुष्का चौरसिया को, जीतआनन्द जीत स्मृति रंगकर्मी सम्मान राजेश राठौर अंकुर को अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया।








































नाट्य कार्यशाला के प्रस्तुतीकरण समारोह का आगाज रंगकर्मियों द्वारा प्र्रस्तुत इप्टा गीत बजा नगाड़ा शांति का, शान्ति का, शान्ति का से हुआ, इप्टा के प्रांतीय सचिव डॉ. मुहम्मद नईम ने इप्टा की कोंच में स्थापना एवं प्रगति पर आख्या प्रस्तुत करतेे हुए अतिथियों का परिचय कराया। इस अवसर पर रंगकर्मियों ने नाटक 'गड्ढा', 'गिरगिट', 'मिट्टी हमारी मां' और 'औरत' का शानदार मंचन किया, वहीं रंगकर्मियों ने जनगीतों का बेहतरीन प्रदर्शन कर नाट्य प्रेमियों को मोहित कर दिया। इस अवसर पर समस्त रंगकर्मियों को प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह समस्त अतिथियों द्वारा प्रदान किये गये वहीं समस्त अतिथियों को स्मृति चिन्ह इप्टा कोंच इकाई के संरक्षक अनिल वैद, डॉ. मुहम्मद नईम, अध्यक्ष अतुल चतर्वेदी, राशिद अली, भास्कर गप्ता, हारून कादरी, पारसमणि अग्रवाल, तलत खान, नीहारिका मिश्रा, शिवांगी चतुर्वेदी, रामकिशोर कुशवाहा सहित रंगकर्मियों द्वारा भेंट किये गये। कार्यक्रम का समापन गीत आजादी ही आजादी के गायन द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन इप्टा कोंच अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी व संरक्षक डॉ. मुहम्मद नईम बॉबी द्वारा संयुक्त रुप से किया गया। इस अवसर पर इप्टा रायबरेली से जनार्दन मिश्रा, दुर्जय घोष, झांसी से गौरव जैन, सौम्या जैन, उरई इप्टा से अमजद आलम, संजीव गुप्त, धर्मेन्द्र कुमार, धनीराम, संतोष दीक्षित सहित नगर के गणमान्य नागरिक, अभिभावक व सैकड़ों की संख्या में नाट्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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