कोंच। यहां महंतनगर स्थित काली मंदिर पर आयोजित श्रीराम कथा के दौरान विद्वान मानसवेत्ता पं. पंकज दीक्षित ने भगवान राम की अलौकिक चरित्र का वर्णन करते हुये कहा कि उनका समूचा जीवन ही मानव मात्र को आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने अपने कतित्व से लोगों को बताने का प्रयास किया कि माता-पिता की न सिर्फ आज्ञा का पालन करना ही बल्कि उनकी इच्छा जान कर उसी अनुरूप कार्य करने बाला मनुष्य ही श्रेष्ठ है और समाज के लिये आदर्श बन सकता है।
मानस मर्मज्ञ कथा प्रवक्ता पं. दीक्षित ने कथा प्रवाह को आगे बढाते हुये कहा कि भगवान राम ने गाय, ब्राह्मण और संतों की रक्षा तथा पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिये अवतार धारण किया और अपने उद्दश्य की पूर्ति के लिये उन्होंने अयोध्या जैसे विशाल साम्राज्य को त्याग कर वनगमन का उपक्रम किया तथा अत्याचारी राक्षसों का बध करके पृथ्वी को उनके पापाचारों से मुक्त किया। उन्होंने रामत्व और रावणत्व के बीच के विभेद को बड़े ही सुंदर शब्दों में पारिभाषित करते हुये बताया कि जो दूसरों के कल्याण की सोचे वह राम है और जो व्यक्ति केवल स्वयं के बारे और अपने ही कल्याण के बारे में सोचे वही रावण है। 'बड़े भाग्य मानुष तन पावा' के माध्यम से उन्होंने कहा, स्वयं परमात्मा कहता है कि मनुष्य रूप बहुत ही जतन के बाद प्राप्त होता है अत: इसका सदुपयोग करना चाहिये। रावण पशु प्रवृत्ति का सूचक है जबकि राम ने मानवीय गुण सिखाये हैं। कथाव्यास कहते हैं कि रावण का पराभव उसके निम्नतर चरित्र के कारण हुआ और राम की विजय उनके चारित्रिक बल की द्योतक है। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक डॉ. कौशलेन्द्र शुक्ला, नरेन्द्र परिहार, साकेत मिश्रा, अनूप शुक्ला, आशु पाटकार, अज्जू शुक्ला, व्योम शुक्ला, चंदन यादव, रवि अग्रवाल, मुकेश कुशवाहा, वीरेन्द्र याज्ञिक सहित तमाम लोग व्यवस्थाओं में रहे।
news
0 comments:
Post a Comment