सच का भारत

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आज एक और बदलता समाज गिरता आधार पसिजता बिता हुआ कल और रोता हुआ आने वाला कल वादे पे वादे सते पे सता लेकिन गरीबी मुँह चिढाता हुआ उस अबोध का क्या कसूर वो तो चाहता था कि हम स्कूल जाये और साथ बच्चों के मेरी भी एक बचपन हो मगर लाचारी स्कूल के यूनिफा़र्म मे हि कछा ७ का करन अपने पिता कि काम को पूरा करता हुआ तथा साथ मे ६ साल का भाई भी उसी के साथ वाराणसी कि गलियों कि सफाई करता हुआ तो आप क्या कहेंगें कि मै कृष्णा पंडित ये सब खबर बना रहा हूं मसाला लगाकर नहिं भारत की एक ऐसे सच को दिखा व बता रहा हूँ जो आपको सोचने पर मजबूर कर दे कि कहॉ लागू होता है ये कानून कोन निगेहबानी करता है हमारे समाज कि "कोई नोटों कि गदी पर सोता ह कोई रोटी को तरसता है " जब समय बित जायेगा तो ना रहेगी सुनहरा कल ना हि सुनहरा देश हम उसी देश में रहते है जिस देश कि मिटी कि खुशबू रंगों को बखूबी सतरंगी कर सबको समान रूप द़र्शाती है तो आज हम एक ऐसे भारत को भी देखें जो सबको दो रोटी और समानता का आधार बना कर गरीब को भी जीने और अपनी जिदंगी नि़र्वाह करने का मौका मिल सके, सबका आखिर कल तो कल होता है जिसमें सभी को खोना और पाना होता है तो यदि नैतिकता कि दूहाई देनेवाला व सरकारी पद आसिन गैर जिमेदाराना हरकत से बाज आयें तो निश्चय हि एक कल का नि़र्माण किया जा सकता है "जागो भारतवासि ये देश तुम्हारा है नित्य क़र्म तुम्हारा हो" ये ध़र्म तुम्हारा हो......कृष्णा पंडित
9554275556 वाराणसी

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