नकली खोया खा कर मौत के मुंह में जा रहे मिठाई के शौकीन


उरई। नकली खोया का व्यापार शहर में जमकर
फलफूल रहा है। जिससे जनजीवन के स्वास्थ्य के लिए
गंभीर खतरा पैदा होता जा रहा है। बावजूद इसके
खाद्य सुरक्षा विभाग कोई कार्रवाई नही कर रहा
है।
कुछ वर्षों से शहर नकली खोया की बड़ी मंडी में
तब्दील हो चुका है। हालांकि इक्का-दुक्का जगह
तो नकली खोया पहले से बनता था। लेकिन अब
आधा दर्जन के करीब बड़े पैमाने पर नकली खोया
बनाने की फैक्ट्रियां संचालित हो रही है। जिनमें हर
रोज कुतंलों में खोया तैयार होता है जिसे जिले और
बुंदेलखंड में ही नही सुदूर गुजरात जैसे प्रांतों के कई
शहरों में खपाया जा रहा है।
शांति नगर में पहले आलू के जरिए घरेलू भट्टियों से चंद
जरायम पेशा लोग नकली खोया तैयार करते थे
जिसकी सप्लाई मिठाई की छोटी-छोटी दुकानों
पर की जाती थी। लेकिन आज शांति नगर में इसकी
जगह बड़ी मशीने लगाकर सपरेटा दूध से खोया तैयार
करने का काम हो रहा है। गनीमत थी अगर केवल
सपरेटा दूध का ही खोया बनता लेकिन इसमें खाने
का कास्टिक डाला जाता है। मात्रा अधिक होने
से यह कास्टिक खोया के जरिए पेट में जाने पर आंते
फाड़ने का काम करने लगता है। इसके कारण लोग
मौत के मुहाने पर पहुंचकर खड़े हो जाते हैं।
फैक्ट्री ऐरिया में भी खोया की एक फैक्ट्री
गोपनीय तरीके से संचालित की जा रही है। एक
फैक्ट्री राजेंद्र नगर में बंबी रोड पर है। इन फैक्ट्रियों
में घटिया रिफाइंड, कृत्रिम ग्लूकोज, हाइड्रोजन
पैराक्साइड और घी की महक वाले कैमिकल की
मिलावट से खोया तैयार होता है। यह खोया
महामारी से कम बड़ी विभीषिका का कारण नही
है। यह बात दूसरी है कि इससे तैयार मिठाइयां खाने
वालों की तुरंत मौत नही होती। लेकिन इस खोया
से तैयार मिठाइयां खाकर व्यक्ति धीमे विष का
निवाला बन जाता है और आखिरी में उसकी मौत
सुनिश्चित होती है।
बाबू के भरोसे खाद्य सुरक्षा विभाग
खाद्य सुरक्षा विभाग की जिम्मेदारी है कि
खाद्य पदार्थों में मिलावट में निगरानी रखे। लेकिन
लालच में यह विभाग मिलावटी खोया को
प्रोत्साहन देने की भूमिका अदा कर रहा है।
अकर्मण्यता के कारण ही विभाग के कार्यालय में
खाद्य सुरक्षाधिकारी और निरीक्षक यदाकदा
ही पहुंचते है जबकि यह कार्यालय कलेक्ट्रेट में स्थित
है। जाहिर है कि डीएम के सीधे निगाह में रहने का
खौफ भी इनको विचलित नहीं कर पाता।
जिम्मेदारों के न रहने से विभाग का बाबू भी
बेफिक्र है। हमारी टीम जब पहुंची तो खाद्य
निरीक्षक की कुर्सी पर पसरा बाबू नशें में मस्त
होकर नींद का लुत्फ ले रहा था। हम लोगों ने जब उसे
झिझोड़ा तो काफी देर बाद वह चैतन्य हो पाया।
नकली खोया लीवर के लिए बेहद घातक है। इसके
खाने से होने वाले संक्रमण के चलते आखिर मरीज का
पाचनतंत्र पूरी तरह नष्ट हो जाता है।
– डाॅ. वीवी आर्या
वरिष्ठ चिकित्साधीक्षक
जिला अस्पताल
नकली खोया को विभाग ने कई बार पकड़कर नष्ट
कराया है। शहर में नकली तरीके से खोया बनाये जाने
की फैक्ट्री संचालित होने की उन्हें कोई
जानकारी नही है। अब वे इसकी पड़ताल कराकर
कार्रवाई करेगें।
– योगेश त्रिवेदी
वरिष्ठ खाद्य सुरक्षाधिकारी

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