गंगा को मैली करने का 80 प्रतिशत दोषी मलमूत्र वाला वो गंदा पानी है

वाराणसी
गंगा को मैली करने का 80 प्रतिशत दोषी मलमूत्र वाला वो गंदा पानी है जो 400 करोड़ लीटर प्रतिदिन की दर से गंगा में गिरता है. आपको जानकर हैरानी होगी की गंगा में गंदे नालों को छोड़ने की शुरुआत एक सरकारी आदेश से हुई थी. 1932 से हुई शुरूआत आज गंगा के लिए मुसीबत बन गई है.
 
कानपुर में नाव पर बैठ कर पीछे नाला झरने की तरह गिर रहा है. कानपुर में गंगा का हत्यारा है सीसामाउ का नाला. कानपुर में ऐसे 25 छोटे बड़े नालें हैं और 29 करोड़ लीटर गंदा पानी इसी तरह सीधे गंगा में मिलता है.
 
सिर्फ कानपुर नहीं बल्कि बनारस में ऐसे छोटे बड़े 34 नाले हैं जिसका गंदा पानी सीधे गंगा में गिरता है.14 करोड़ लीटर पानी को ही साफ करने के संयंत्र लगे हैं जबकि करीब चार करोड़ लीटर गंदा पानी सीधे गंगा में मिलता है.
 
इलाहाबाद में ऐसे छोटे बड़े 57 नालें हैं जिनसे रोज बीस करोड़ लीटर गंदगी रोज निकलती है . लेकिन सिर्फ 9 करोड़ लीटर गंदा पानी ही साफ हो पाता है और बाकी 11 करोड़ लीटर गंदा पानी सीधे गंगा में समाहित हो जाता है.
 
दिक्कत ये है कि जब तक STP तैयार होता है नाले ज्यादा गदंगी लाने लगते हैं। उस पर अधिकतर STP अपनी पूरी क्षमता पर काम भी नहीं कर पाते. STP में पैसा पानी की तरह बहता है पर गंगा की हालत देखकर लगता है कि ये पैसा भी गंदे नालों में ही बह जाता है.

रिपोर्टर शेरू खान
7860723699

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