योग्यता को ठेंगा दिखा रहा आरक्षण

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एक ओर जँहा बिकाऊ शिक्षा के परिवेश में अशिक्षित होते हुये भी शिक्षित होने का प्रमाण बिल्कुल आसानी से प्राप्त हो जाता है जिससे वास्तविक रूप से शिक्षित व डिग्रियों में शिक्षित लोग भले ही कागजो पर सरक्षता के ग्राफ को बढ़ा रहे हो लेकिन कागजो पर शिक्षित लोगो द्वारा वास्तविक रूप से शिक्षित लोगों के साथ बेरोजगारी जैसी अहम समस्या को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा तो वहीँ दूसरी और बची कसर आरक्षण नामक बीमारी पूरी करने का काम कर रही है। यदि गहनता से इस पर विचार मंथन किया जाये तो शिक्षा में आरक्षण कई ऐसे प्रश्नों की संरचना कर रहा है कि क्या शिक्षा में आरक्षण होना उचित है?

किसी ज्यादा अंक प्राप्त प्रतिभागी को दरकनार कर उससे कम अंक प्राप्त प्रतिभागी को सिर्फ इसलिये मौका दिया जाता कि उसके पास आरक्षण है क्या यह योग्य प्रतिभागी के साथ न्याय है? क्या योग्यता की तुलना आरक्षण से करना जायज है ? क्या आरक्षण के नाम पर योग्य प्रतिभागिओ के साथ किया जा रहा उत्पीड़न न्यायोचित है ?

समाज के बीच इस मुद्दे पर चर्चा की जाती है तो एकमत से इसके विरोध आवाजें सुनाई देती है लेकिन शिक्षा में आरक्षण एक बीमारी है तो इसके विरुद्ध मन से निकली आवाज घर के दीवारों तक ही सीमित क्यों है क्या आप हम और हमारा समाज पर स्वार्थ नामक घुन का इतना कब्जा हो गया है कि अपनी आवाज उठाने के लिये साहस तक नही बचा । हमारे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और जनहित युवाहित की बड़ी बड़ी बातें हाँकने वाले राजनैतिक दल भी आरक्षण के नाम पर चुप्पी साधे हुये बैठे है शिक्षित और विद्वान होने का चोला ओढे हमारे समाज के बुद्धजीवी भी अन्धो और बहरो की तरह शांत बैठे हुये है शर्म की बात है कि जनसेवा समाजसेवा के नाम पर मीडिया में अपने बड़े बड़े तारीफों से सुशोभित समाचार सचित्र प्रकाशित कर अपनी पीठ अपने हाथ से थपथपाने वाले अधिकांश गैर राजनैतिक संगठन व संस्थान भी शिक्षा में लगी लाईलाज रूपी आरक्षण की बीमारी को लेकर मौन धारण किये हुये है आखिर कब तक योग्य युवा आरक्षण रूपी बीमारी से जूझता रहेगा? आखिर कब सामान्य वर्ग के योग्य व्यक्ति का इस बात का दुःख समाप्त होगा कि उसके पास आरक्षण नही है एक ओर जँहा समानता के अधिकार को लेकर बड़ी बड़ी बाते की जा रही है फिर समानता की बात को बेईमानी साबित करने वाले आरक्षण पर चुप्पी क्यों ?

वक्त आ गया जागो युवा साथियो हम सभी को आरक्षण के बाद बचा जूठन नही अपना जायज हक चाहिये आओ आवाज उठाये अपने अधिकार के लिये आरक्षण न होने से मिली असफलता पर आखिर कब तक घर में चुपचाप बैठे रहेंगे हालात पुकार रहे है युवाओ आगे आयो और अपनी ताकत के साथ अपने अधिकार के लिये संघर्ष करो क्योंकि अधिकार भीख मागने से नही बल्कि संघर्ष से मिलता है आइये आप और हम देशहित युवाहित में आगे आये और युवाओ के नाम पर सियाशी रोटी सेंकने वालों को ये बता दे कि युवा एक ताकत है युवा को उल्टा करो तो वायु होता है और वायु जब मन्द गति में चलती है तो पुरबाई होती है लेकिन जिस दिन वह अपनी औखात में आती है तो तूफान आ जाता है। एक बार पुनः आगे आने के लिये आवाहन करते हुये विश्वास व्यक्त करता हूँ कि इस सम्बन्ध में हमें आपकी टीका टिप्पणी (7524820277 व्हाट्सएप पर) से मुलाकात करने का अवसर मिलेगा।


पारसमणि अग्रवाल
युवा

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2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नफरत, मौकापरस्ती, आरक्षण और राजनीति , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद

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