पुनरीक्षण के बहाने साजिशन छीना गया ग्रामीणों से वोट का अधिकार

* पंचायत चुनाव की मतदाता सूचियों में खामियां ही खामियां
* मृतकों के भी नाम हैं शामिल, लेकिन जिंदे हैं नदारत
* बीएलओज की भूमिका सवालों के घेरे में
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कोंच। शासन की मंशा जैसी भी हो लेकिन चुनाव आयोग की मंशा है कि इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पूरी निष्पक्षता, पारदर्शिता और ईमानदारी से सम्पन्न हो सकें। इसी लिहाज से मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया अनवरत जारी रही है ताकि मतदाता सूचियों में किसी प्रकार की खामियां बाकी न रह जायें, लेकिन आयोग की मंशा बीएलओज की कार्यशैली से तार तार होती दिख रही है। एकाध नहीं, दर्जनों गांवों से ऐसी शिकायतें लगभग रोज ही तहसील के अधिकारियों के पास आ रही हैं जिनमें मतदाता सूचियों से थोक के भाव एक एक गांव से सैकड़ों लोगों के नाम सूचियों से नदारत हैं, जबकि मुर्दों को सूचियों में शामिल किया गया है। तो ये है स्थिति त्रुटिरहित मतदाता सूचियों की। खास बात यह है कि समाज के निचले तबके के नब्बे फीसदी लोगों को मताधिकार से साजिशन वंचित किया गया है।विकास खंड नदीगांव के ग्राम मऊ, कोंच विकास खंड के ग्राम गोराकरनपुर, खैरी व घुसिया से इस तरह की खबरें सामने आई हैं।

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