कोंच E&E न्यूज द्वारा पूर्व की गयी घोषणा के मुताबिक आज आप समाचार के साथ साथ साहित्याकाश के सितारों से रु ब रु होकर साहित्याकाश का विचरण करें दूर दराज मंचो पर कोंच का नाम रोशन करने वाले कवि दिनेश मानव जी व एक अच्छे कवि के साथ साथ अध्यापक नन्दराम स्वर्णकार भावुक जी की सम्वेदनाओं से E&E न्यूज के माध्यम से मुलाकात करने का अवसर मिलेगा।
आज साहित्याकाश के 2 सितारों में से पहले कवि नन्दराम स्वर्णकार भाबुक की भावुक संवेदना से मिलिये
आदमी का आदमी से प्यार खो गया।
बाह्य रूप रह गया आधार खो गया।।
है आदमी का रूप मगर आदमी नहीँ।
अंदर ही अपने आदमी दो चार हो गया।।
सब जानता है आदमी पर मानता नहीँ।
अपने ही हाथो अपना गुनहगार हो गया।।
जीवन का अर्थ प्रेम है पूजा है कर्म है।
सब धर्म अपना भूल के व्यापार हो गया।।
भावुक ही जान पायेगा भावुक के भाव को।
जो भाव शून्य हो गया बेकार हो गया।।
नन्दराम स्वर्णकार भावुक
प्रताप नगर लवली चौराहा कोंच
साहित्याकाश के दूसरे सितारे कवि दिनेश स्वर्णकार मानव जी की रचना से मुलाकात कीजिये
अदभुत अपने जीवन में हम पाते है।
जाने क्या क्या सोच सोच रह जाते है।।
भाव प्रवाहित होते रहते है मन में।
लेकिन चिंतन से वंचित रह जाते है।।
पीले पत्तो का तो जीवन विगत हुआ
हरे पात क्यों पीले पड़ जाते है।।
सौंधी माटी से सानिध्य बनाकर ही।
पुष्प हृदय के उपवन को महकाते है।।
समयचक्र के आगे मानव चुप रहकर।
चोट करारी सीने पर सह जाते है।
दिनेश मानव
चौधरी की गली लवली चौराहा कोंच जालौन
मो 9936009511
मेल Dineshmanv@gmail. com
समाचार पढ़ें http://newsene.blogspot.in/ पर
आज साहित्याकाश के 2 सितारों में से पहले कवि नन्दराम स्वर्णकार भाबुक की भावुक संवेदना से मिलिये
आदमी का आदमी से प्यार खो गया।
बाह्य रूप रह गया आधार खो गया।।
है आदमी का रूप मगर आदमी नहीँ।
अंदर ही अपने आदमी दो चार हो गया।।
सब जानता है आदमी पर मानता नहीँ।
अपने ही हाथो अपना गुनहगार हो गया।।
जीवन का अर्थ प्रेम है पूजा है कर्म है।
सब धर्म अपना भूल के व्यापार हो गया।।
भावुक ही जान पायेगा भावुक के भाव को।
जो भाव शून्य हो गया बेकार हो गया।।
नन्दराम स्वर्णकार भावुक
प्रताप नगर लवली चौराहा कोंच
साहित्याकाश के दूसरे सितारे कवि दिनेश स्वर्णकार मानव जी की रचना से मुलाकात कीजिये
अदभुत अपने जीवन में हम पाते है।
जाने क्या क्या सोच सोच रह जाते है।।
भाव प्रवाहित होते रहते है मन में।
लेकिन चिंतन से वंचित रह जाते है।।
पीले पत्तो का तो जीवन विगत हुआ
हरे पात क्यों पीले पड़ जाते है।।
सौंधी माटी से सानिध्य बनाकर ही।
पुष्प हृदय के उपवन को महकाते है।।
समयचक्र के आगे मानव चुप रहकर।
चोट करारी सीने पर सह जाते है।
दिनेश मानव
चौधरी की गली लवली चौराहा कोंच जालौन
मो 9936009511
मेल Dineshmanv@gmail. com
समाचार पढ़ें http://newsene.blogspot.in/ पर
0 comments:
Post a Comment