2014 में भाजपा को सत्ताधारी कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर साफ़ बढ़त मिली थी, लेकिन 2019 में बहुत कुछ बदल सकता है.
इस बार भाजपा सत्ता में है, जो अपने पिछले चार सालों के प्रदर्शन के आधार पर अगले लोकसभा चुनावों में उतरेगी.
2014 में भाजपा को सत्ताधारी कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर साफ़ बढ़त मिली थी, लेकिन 2019 में बहुत कुछ बदल सकता है.
इस बार भाजपा सत्ता में है, जो अपने पिछले चार सालों के प्रदर्शन के आधार पर अगले लोकसभा चुनावों में उतरेगी.
जबकि विपक्षी पार्टियां पूरी तैयारी के साथ (जैसा कि भाजपा ने 2013-14 में किया था) सत्ताधारी दल की हवा निकालने की कोशिश में लगी हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक मुकम्मल राजनेता हैं और वो ये सब बहुत अच्छे से जानते हैं. इसलिए वो 2019 के चुनावों में अपनी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए बेहतर रणनीति अपना रहे हैं
किसी भी चुनाव में सत्तासीन सरकार अपने प्रदर्शन के आधार पर आंकी जाती है, जबकि विपक्षी पार्टियां सरकार के काम की आलोचना और अपना स्टैंड बताकर चुनाव लड़ती हैं.
इन सबके बीच सबसे अस्वाभाविक बात यह है कि इस बार नरेंद्र मोदी खुद भी अपनी कार्य योजनाओं को बता रहे हैं और यह जता रहे हैं कि 2022 में भी सत्ता उन्हीं के पास रहेगी.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में मोदी ने भारतीयों को 2022 में अंतरिक्ष में उतारने की घोषणा की थी. लालकिले की प्राचीर से उन्होंने कहा था, "जब भारत 2022 में आज़ादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा, देश का एक बेटा या बेटी अंतिरक्ष में बसावट के मिशन के लिए गगनयान पर राष्ट्रीय ध्वज लेकर प्रस्थान करेंगे."
आपको बता दें कि गगनयान को अंतरिक्ष में भेजने का यह प्रोजेक्ट 2004 से ही चल रहा है. यूपीए सरकार इसके क्रियान्वयन में सफल नहीं हो पायी.
अब मोदी ने तारीख (2022) का जिक्र करते हुए ये जता दिया है कि वो इस योजना को लेकर कितने गंभीर हैं.
'आशाओं और आकांक्षाओं का साल'
लेकिन ऐसा लग रहा है कि मोदी ने 2022 का लक्ष्य इस तरह तय किया है कि उनकी पार्टी को इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचे.
जब 2017 की शुरुआत में ही भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल के विधानसभा चुनाव जीते थे और जीत के कुछ ही दिनों बाद नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, "चुनाव के परिणामों ने नए भारत की आधारशिला रखी है."
उन्होंने लोगों से आह्वान भी कराया था कि 2022 तक नए भारत को बनाना है जो कि उनकी सरकार के कार्यकाल के पूरा होने के तीन साल बाद आएगा.
मोदी ने लोगों को प्रतिज्ञा दिलाते हुए कहा था कि यदि हम इसमें सफल हो जाते हैं तो भारत को सुपर पावर बनने से कोई नहीं रोक सकता.
इसी तरह जुलाई 2017 में नीति आयोग की एक मीटिंग में देश के सभी मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि "2022 का नया भारत जनता का संकल्प" है.
"यह भारत की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है और इसको पूरा करने की ज़िम्मेदारी उनकी है जो सत्ता में हैं."
एक महीने बाद मोदी ने फिर से केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुखों के साथ एक मीटिंग में 2022 का नया भारत बनाने का रोड मैप तैयार करने के निर्देश दिए थे.
E&E News
इस बार भाजपा सत्ता में है, जो अपने पिछले चार सालों के प्रदर्शन के आधार पर अगले लोकसभा चुनावों में उतरेगी.
2014 में भाजपा को सत्ताधारी कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर साफ़ बढ़त मिली थी, लेकिन 2019 में बहुत कुछ बदल सकता है.
इस बार भाजपा सत्ता में है, जो अपने पिछले चार सालों के प्रदर्शन के आधार पर अगले लोकसभा चुनावों में उतरेगी.
जबकि विपक्षी पार्टियां पूरी तैयारी के साथ (जैसा कि भाजपा ने 2013-14 में किया था) सत्ताधारी दल की हवा निकालने की कोशिश में लगी हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक मुकम्मल राजनेता हैं और वो ये सब बहुत अच्छे से जानते हैं. इसलिए वो 2019 के चुनावों में अपनी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए बेहतर रणनीति अपना रहे हैं
किसी भी चुनाव में सत्तासीन सरकार अपने प्रदर्शन के आधार पर आंकी जाती है, जबकि विपक्षी पार्टियां सरकार के काम की आलोचना और अपना स्टैंड बताकर चुनाव लड़ती हैं.
इन सबके बीच सबसे अस्वाभाविक बात यह है कि इस बार नरेंद्र मोदी खुद भी अपनी कार्य योजनाओं को बता रहे हैं और यह जता रहे हैं कि 2022 में भी सत्ता उन्हीं के पास रहेगी.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में मोदी ने भारतीयों को 2022 में अंतरिक्ष में उतारने की घोषणा की थी. लालकिले की प्राचीर से उन्होंने कहा था, "जब भारत 2022 में आज़ादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा, देश का एक बेटा या बेटी अंतिरक्ष में बसावट के मिशन के लिए गगनयान पर राष्ट्रीय ध्वज लेकर प्रस्थान करेंगे."
आपको बता दें कि गगनयान को अंतरिक्ष में भेजने का यह प्रोजेक्ट 2004 से ही चल रहा है. यूपीए सरकार इसके क्रियान्वयन में सफल नहीं हो पायी.
अब मोदी ने तारीख (2022) का जिक्र करते हुए ये जता दिया है कि वो इस योजना को लेकर कितने गंभीर हैं.
'आशाओं और आकांक्षाओं का साल'
लेकिन ऐसा लग रहा है कि मोदी ने 2022 का लक्ष्य इस तरह तय किया है कि उनकी पार्टी को इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचे.
जब 2017 की शुरुआत में ही भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल के विधानसभा चुनाव जीते थे और जीत के कुछ ही दिनों बाद नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, "चुनाव के परिणामों ने नए भारत की आधारशिला रखी है."
उन्होंने लोगों से आह्वान भी कराया था कि 2022 तक नए भारत को बनाना है जो कि उनकी सरकार के कार्यकाल के पूरा होने के तीन साल बाद आएगा.
मोदी ने लोगों को प्रतिज्ञा दिलाते हुए कहा था कि यदि हम इसमें सफल हो जाते हैं तो भारत को सुपर पावर बनने से कोई नहीं रोक सकता.
इसी तरह जुलाई 2017 में नीति आयोग की एक मीटिंग में देश के सभी मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि "2022 का नया भारत जनता का संकल्प" है.
"यह भारत की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है और इसको पूरा करने की ज़िम्मेदारी उनकी है जो सत्ता में हैं."
एक महीने बाद मोदी ने फिर से केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुखों के साथ एक मीटिंग में 2022 का नया भारत बनाने का रोड मैप तैयार करने के निर्देश दिए थे.
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