आज पत्रकारिता का चोट ही पुलिस का गिरता आधार का कारण

आज एक ऐसा सच जो कहि न कहि माकूल जबाब दे रहा है उन
प्रशासनिक अधिकारिओं को जो अपने ही तलवे चाटने को
मजबूर हो रहे है
जब कभी आतंक बढ़ेगा तो ऊँगली तो
उन्ही ठेकेदारों पर उठेगी जो निश्चय
ही जबाब का कारण है आज उत्तर प्रदेश सरकार
निरोतर हो चुकी है जिसके पास कोई जबाब
नही उनके ही आला अधिकारिओं
की ही बजा दिया जा रहा है तो कौन सुध
लेगा हमारी आपकी और बेहाल जनता का
कई सारे मित्रो को बुरा लगेगा पढ़ने के बाद लेकिन सवाल उठाना तो
लाजमी हो जाता है की जो पटल
की नीव अपराध और अपराधियो से सुरक्षा
हेतु निर्माण किया गया वही आज अपनी
जमीन तलाश रहा है किसी बंद और
अंधियारे कोठारी में की एक तिनका जल कर
कमरे को रोशन कर एक नया आयाम दे लेकिन बिना किये तो भोजन
भी नही पकता आज हैट पे हाथ रख
बैठने से मुद्दे ख़त्म नही होते यदि समाधान चाइये तो
तो लड़ना होगा और निश्चय ही जीत
होगी एक कठोर मैप रखा गया है इस विभाग को लेकिन
कुछ सपेसिलहकर की वजह आज बड़े
ही नेक व साहसी अधिकारिओं को
भी शर्मिंदा होना पड़ता है और कहि न कहि
उनकी जमीर मरती है
" हिस्ता चल ज़िदगी ,अभी
कई कर्ज चुकाना बाकि है
कुछ दर्द मिटाना बाकि है
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकि है "
"रफ़्तार में तेर चलने से
कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
रूठों को मनाना बाकि है
रोतों को हाशना बाकि है "
आज एक सच जो समाज का दर्पण होकर खुद ही
निगेहबान बन बैठा है की कल कैसा हो आज
ज़िदगी का अंतिम है लेकिन कहते सबसे ऊपर कोई
और है जिसको वो मंजूर नही जो कोई रोये उसका ये
दस्तूर नही मेरा नाम कृष्णा पंडित है और समाज में
जागरूकता और लोगो के बीच खुद को शामिलकर अपने को
समाज के प्रति जिम्मेदारी के भाव के साथ एक पहल
करते रहता हु ....
"कुछ हसरते अभी अधूरी है
कुछ काम भी और जरूरी है
जीवन की उलझ पहेली को
पूरा सुलझाना बाक़ी है "
आपका साथी कृष्णा पंडित वाराणसी
9889187040

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