तकनीक के सहारे दोधारी तलवार हुई पत्रकारिता

तकनीक के साथ-साथ रंग बदलती पत्रकारिता

डिजिटल तकनीक ने पत्रकारिता को बिल्कुल एक नए फलक पर लाकर खड़ा कर दिया है। डिजिटल तकनीक,सोशल मीडिया के असर से जहां पत्रकारिता ने रफ्तार पकड़ी है तो विश्वसनीयता की कसौटी पर कसने की चुनौतियां पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं। रफ्तार की प्रतिस्पर्धा से नए खतरों का अंदेशा भी बढ़ा है।

सोशल मीडिया के असर ने पत्रकार और पत्रकारिता को कहीं ज्यादा जवाबदेह बनाया है। अब पत्रकारिता पहले से ज्यादा जीवंत हुई है। दूसरे सिरे पर बैठा पाठक केवल पढ़कर चुपचाप बैठे रहना वाला नहीं रहा। वो न केवल कहीं अधिक प्रतिक्रियावादी हुआ है बल्कि किसी समाचार में अगर जरूरी लगे तो बदलाव की वजह तक बनने की हिम्मत रखता है।

वो अपनी मर्जी से अपने स्रोत को चुन सकता है और उस पर प्रतिक्रिया देने की आजादी रखता है। पत्रकारों के सामने तथ्यों, तस्वीरों की विश्वसनीयता परखने की चुनौतियां तकनीक के इस युग में पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं। अब वो जमाना नहीं रहा जब हम पत्रकारिता को केवल कलम और स्याही के लिए जानते है।

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