जो धधक रही चिंगारी अब ज्वाला बनने वाली है ओ मौत के सौदागर अब तुम्हें निगलने वाली है

कोंच - प्रत्येक सप्ताह E&E न्यूज द्वारा नगर के एक वरिष्ठ कवि की रचनाओं से आपको आनन्द की अनुभूति प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। कोंच का नाम सिर्फ बुन्देलखण्ड में ही नही बल्कि दूर दराज शहरों में रोशन करने वाले एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अपनी लेखनी की चमक बिखरने वाले कवि एवं समीक्षक भास्करसिंह माणिक की एक रचना E&E न्यूज के माध्यम से आपके लिये निवेदित है-

जो धधक रही है चिंगारी अब ज्वाला बनने वाली है।
ओ मौत के सौदागर अब तुम्हें निगलने वाली है।
हम क्रान्ति दूत है मतवाले
कभी न पीठ दिखाते।
हम चलते है अँगारों पर
खेला करते तलवारों से
ओरो के पग चलने वालो
तुम निशिचत मिट जाओगे
जो घाव दिये तुमने हमको
वो जंग न रुकने वाली है।
जो धधक........निगलने वाली है।
अपना अंग समझकर तुमको
बार बार छोड़ा है हमने
सदभाव भरे सम्बन्धों को
लाचारी समझा है तुमने
बम की दहशत फैलाने वालों
न तुम भी बच पाओगे
जिन फूलो को रौंदा तुमने
वो गन्ध न मिटाने वाली है
जो धधक..............निगलने वाली है।
बीज तुम्हारा है बोया तुमने
तुम ही इसको कटोगे
अन्याय असत पर चलने वालो
एक दिन तुम पछताओगे
तुम सागर से मिल जाओ या
मिल जाओ तूफानों से
जो झुलसाय घर तुमने
वो आग न बुझने वाली है
जो धधक रही है चिंगारी अब ज्वाला बनने वाली है।
ओ मौतो के सौदागर अब तुम्हे निगलने वाली है।


भास्कर सिंह माणिक
मालवीय नगर बजरिया कोंच
मो 993650549









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