Adultry कानून पर हुआ ऐतिहासिक फैसला!

नई दिल्ली: 


158 साल पुराने कानून IPC 497 (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी सिस्टम महिला को उसकी गरिमा से विपरीत या भेदभाव करता है वो संविधान के कोप को इनवाइट करता है. आगे कहा कि जो प्रावधान महिला के साथ गैरसमानता का बर्ताव करता है वो असंवैंधानिक है. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं.
  एडल्टरी लॉ को रद्द कर देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ता के वकील राज कल्लिशवरम ने कहा कि सीपीसी 192 और 497 खत्म हो गया. व्यभिचार के आधार पर अब कोई भी व्यक्ति अब इस मामले में अपराधी करार नहीं हो सकता. कोर्ट ने कहा कि यह कानून महिलाओं के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भेदभाव पूर्ण है. कोर्ट ने कहा है कि यह काफी पुराना और उपनिवेश काल का है और यह अभी के समय और संविधान के स्तर पर उपयुक्त नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि "यह ऐतिहासिक फैसला है... मैं इस फैसले से बेहद खुश हूं... भारत की जनता को भी इससे खुश होना चाहिए..."

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