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वाराणसी विश्व की प्राचीनतम नगरी जानी जाती है वह स्वर्ग जैसा देवों का भी पसंदिदा शहर रहा है  वाराणसी विदेशियों का पसंदीदा शहर रहा है पुराने समय से धार्मिक नगरी के रूप में जाना जाता रहा है यह भारत के धर्म केंद्र के रुप में पुरी दुनियॉ मे विख्यात है और वाराणसी की पहचान उसके घाटों से ह जो उसकी निरंतर रूप को और भी सवारती है काशी महोत्सव की शुरुआत प्रवोधनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक नवंबर की माह में मनाया जाता है यह महोत्सव  हमारे विविधता में एकता और हमारे धर्म की परिवेश को भी दर्शाता है जो की बहुत सारे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अपनी प्रतिभा से लोगों के बीच में अपना हुनर का प्रदर्शन भी करते हैं इसमें कल्चरल प्रोग्राम, क्लासिकल म्यूजिक, मार्टीयल आदि भी शामिल है अंतिम दिन इस त्यौहार का कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है जो कि लाइट फेस्टिवल के रुप में भी जाना जाता है सभी घाटो को दीपों से सजाया जाता है और दीयों से सजाकर रात्रि की शोभा को और शानदार बना देता है यह त्यौहार पूरे विश्व में बहुत ही मशहूर और व्यापक रूप में जाना जाता है वाराणसी की गरिमा और जो दास्तान है उसके अनुसार बराणसी की विदेशियों में एक व्यापक रुप का भी प्रचार होता है यही नहीं वाराणसी के लोगों का विश्वास इस त्यौहार के प्रति बहुत हि गरिमामय आशा के काऱण रूप में होता है और बहुत ही दूर-दूर से लोग इस त्यौहार को मनाने लोगों के बीच उपस्थित होकर घाट पर अपनों के साथ पूरी तरीके से उत्साहित होकर इस त्यौहार को मनाते है और खुद मे वनारस मे रहने का गौरव महसूस करते है इसकी तैयारी जोर शोर से चल रही है

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