जालौन स्पेशल एक नजर.. E&E News

अपने ही गांव का नाम लेने से कतराने को मजबूर बाशिदें
अपने ही गांव का नाम लेने से कतराने को मजबूर बाशिदें"
0 जिले के कई गांवों के अटपटे नाम
0 ग्राम पंचायत चुनाव में मुददा बनाने की आवाज उठी
उरई। जिले में कई गांवों के नाम ऐसे हैं जहां के बाशिंदे बाहर पूछे जाने पर शर्म के मारे अपने गांव का नाम बताने से कतरा जाते हैं। हर पांच साल में ग्राम पंचायत के चुनाव होते हैं जिनमें तमाम और मुददे तो सामने आते हैं लेकिन गांव की शोहरत को कलंकित करने वाला उसका नाम बदलने की कोई सुगबुगाहट नही होती। वर्तमान में ग्राम पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जारी है। लेकिन इस बार भी न तो प्रत्याशी और न ही मतदाता ऐसे गांवों में पुराने नाम को बदलकर गौरवशाली नामकरण करने का संकल्प लेने की जागरूकता दिखा पा रहे हैं।
जिले में कुछ गांवों के नाम तो बेहद भददे और अश्लील हैं जिससे गांव के ही लोग अपनी महिलाओं और बच्चों के सामने गांव का नाम लेने में अटकने लगते हैं। जैसे कि जहटौली, लाड़पुरा, लड़उपुर, गड़ेरना लेकिन इन गांवों का नाम बदलने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने की कोई सरगर्मी चुनाव प्रत्याशियों के माध्यम् से देखने को नही मिल रही।
कुछ गांवों के नाम उसकी पहचान को विद्रूप कर देते हैं जैसे कि गधेला, अंडा, भेंड़ आदि। इसकी कचोट गांव वालों के अंदर भले ही हो लेकिन इस हाईटेक युग में भी उनकी ओर से नाम के प्रतिरोध की कोई आवाज बुलंद नही हो पा रही है। अनुसूचित जातियों के लिए पुराने समय में प्रचलित अपमानकारी संबोधन को कानूनन अपराध घोषित किया जा चुका है लेकिन इसकी याद दिलाने वाले चमारी, चमरउआ, चमरसेना आदि गांवों का नाम न बदलकर रोज-रोज इस कानून को तोड़ा जा रहा है।
समर्पण स्वयं सेवी संस्था के संयोजक राधेकृष्ण पंचायत चुनाव में मतदाताओं को जिम्मेदारी के साथ मत प्रयोग करने के लिए जागरूक करने का अभियान चला रहे हैं लेकिन जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस पहलू पर उन्होंने पहले कभी गौर नही किया था लेकिन यह महत्वपूण पहलू है और ग्राम पंचायत चुनाव के मौके पर सामयिक भी। वे अपनी संस्था के माध्यम् से संबंधित गांवों के लोगों को उचित नामकरण करने के लिए जगाएगें साथ ही शासन और प्रशासन का ध्यान भी इस ओर खींचेगें।
जुझारू समाजसेवी हरीशंकर याज्ञिक ने कहा कि इस तरह की विसंगतियों को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि कर्मचारी शिक्षक मोर्चा ने कालपी कस्बे में प्रथम स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिकारियों का दमन करने वाले तत्कालीन ब्रिटिश सैनिक अफसर टरनन के नाम पर चैराहा होने और वीरागंना लक्ष्मीबाई के नाम पर कोई चैराहा और मोहल्ला न होने के विरोधाभास के खिलाफ अभियान चलाया है। इस कड़ी में गांवों के लिए बदनुमा बने नामों को बदलने की मुहिम भी जोड़ी जायेगी।

CONVERSATION

0 comments:

Post a Comment