एक तरफ तो नगर निगम दिल्ली के मॉल व अस्पतालों में मुफ्त पार्किंग मुहैया कराने के लिए कदम उठा रहा है, वहीं उसके पार्को पर माफिया का कब्जा है। इन पार्को में कहीं आरडब्ल्यूए की आड़ में तो कहीं मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन की आड़ में लोगों की जेब काटी जा रही है। पार्किंग माफिया का यह धंधा स्थानीय निगम पार्षदों व अधिकारियों की मिलीभगत से धड़ल्ले से चल रहा है। खास बात यह है कि पैसे लेने के बावजूद वाहन मालिक को टोकन नहीं दिया जाता है। गाड़ी चोरी हो जाए तो उसकी भी कोई जिम्मेदारी नहीं। चिराग दिल्ली गांव में सरकारी जमीन पर पार्किंग माफिया ऐसा ही धंधा कर रहे हैं। यहां पर बाइक से 30 रुपये प्रतिदिन व कार से 60 रुपये प्रतिदिन वसूले जा रहे हैं। पार्क में टैक्सी, ट्रक, टेंपो आदि भी खड़े किए जाते हैं। निगम अधिकारी इससे अंजान बने हुए हैं। उन्होंने पुलिस में भी कोई शिकायत नहीं की है।
बीआरटी कॉरिडोर से चिराग दिल्ली गांव में प्रवेश करते ही बाएं हाथ पर स्थित पार्क में यह धंधा हो रहा है। निगम अधिकारियों का कहना है कि यह पार्क डीडीए ने निगम को दिया था। निगम ने बाद में इसे गांव वालों की मांग पर मुफ्त पार्किंग के लिए उपलब्ध कराया था, लेकिन इसमें मोटरसाइकिल का 30, कार 60 व ट्रक का 100 रुपये प्रतिदिन पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है। पार्क में रोजाना सैकड़ों गाड़ियां पार्किंग के लिए आती हैं। इस हिसाब से प्रतिमाह लाखों के वारे-न्यारे हो रहे हैं। गाड़ी पार्क करते समय पार्किंग माफिया से टोकन मांगने पर वह सीधे इन्कार कर देता है। लोगों का कहना है कि यह पार्किंग मेट्रो से भी महंगी है। मेट्रो स्टेशनों पर बाइक का छह घंटे का सिर्फ 10 रुपये लगता है जबकि यहां 30 रुपये।
-मरम्मत के नाम पर वसूली
चिराग दिल्ली वार्ड-189 की निगम पार्षद सुनीता का कहना है कि गांव वालों ने पार्किंग शुल्क वसूलने के लिए कमेटी बना रखी है। कमेटी पार्क का रखरखाव करती है। हालांकि पार्क की टूटी दीवारें व इसकी जर्जर हालत को देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि प्रतिमाह वसूले जा रहे लाखों रुपये से कौन सी मरम्मत हो रही है। सुनीता ने दावा किया कि इसमें सिर्फ गांव वालों की निजी कारें व बाइकें खड़ी की जाती हैं। जबकि पार्क में ट्रक, टेंपो, ऑटो व टैक्सी भी लगी हुई हैं। सुनीता ने यह भी दावा किया कि यह जमीन गांव की है, जहां पहले तालाब था। बाद में उसे बाउंड्री करवाकर पार्क का रूप दिया गया था। पार्क में एक मंच भी बना हुआ है।
पार्क के लिए तरस रहे बच्चे
चिराग दिल्ली गांव में पार्क की जगह अवैध पार्किंग बना दिए जाने के कारण बच्चे खेलने के लिए तरसते हैं। उन्हें सड़क पर खेलना पड़ता है, जहां हादसे का डर रहता है। बुजुर्गो को भी सुबह-शाम टहलने में मुश्किल होती है।
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मुझे नहीं मालूम है कि यहां पर पार्किंग का शुल्क वसूला जा रहा है। यह जमीन तो डीडीए ने नगर निगम को हैंडओवर की थी। निगम ने इसे मुफ्त पार्किंग के लिए उपलब्ध कराया था। धन उगाही की जा रही है तो यह गैरकानूनी है। अभी तक हमें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली थी। अब इसका पता चला है तो कार्रवाई की जाएगी।
- सूबे सिंह, सेक्शन ऑफिसर (हॉर्टिकल्चर), एसडीएमसी, साउथ जोन
रिपोर्ट-ऋषि राज
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