जानें बच्चन के कुछ रोचक किस्से!



करीब 50 साल इस फिल्मी दुनिया को देने वाले अमिताभ बच्चन को आज हर कोई सलाम करता है। फिर चाहे उनसे जलने वाले लोग हो , ऐसे लोग हो जो अब तक बच्चन के साथ काम नहीं कर पाए या वो हो जिनकी तमन्ना एक नया बच्चन बनने की है। बॉलीवुड से जुड़े लोग हमेशा ' बच्चन' की बारीकी के कायल रहे हैं।

हिंदी सिनेमा की सबसे लोकप्रिय फिल्म 'शोले' के निर्देशक रमेश सिप्पी के मुताबिक शूटिंग के दौरान अमिताभ कैमरे के हर एंगल और लाईट की हर किरण का ध्यान रखते थे। सिप्पी बताते हैं " अमिताभ सिर्फ स्क्रिप्ट पर ध्यान देने वालों में से नहीं थे। कैमरा कहां से शूट कर रहा है , लाइट कहां कट रही है , बैकग्राउंड में को चीज तो नहीं पड़ी है , हमें पता हो ना हो , उन्हें हर चीज मालूम रहती थी।" रमेश सिप्पी, अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार के साथ फिल्म 'शक्ति' के दौरान का भी एक किस्सा सुनाते हैं।

रमेश सिप्पी ने दिलीप कुमार की एक बात बताई  "एक बार दिलीप साहब ने अमिताभ की तरफ इशारा कर कहा था कि उन्होंने बहुत काम किया लेकिन ये लड़का कमाल का है। अपने रोल और शॉट को सही तरीके से समझता है। कमाल का एक्टर है भई। "

सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाने वाले प्रकाश झा का यूं तो फिल्म 'आरक्षण' से पहले बच्चन से वास्ता ही नहीं पड़ा था। झा बताते हैं "अमित जी को कभी भी दूसरों का ध्यान खींचने के लिए कोशिश नहीं करनी पड़ी। उनके हर एक्शन में वो 100 परसेंट देते रहे। अक्सर ऐसा होता है कि हम चाहते हैं कि हमारा ध्यान उन पर जाए लेकिन अमिताभ ऐसा काम ही करते हैं कि सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं।"

अमिताभ बच्चन के डेडिकेशन की एक मिसाल तो फिल्म 'शू बाईट' से भी मिलती है। वैसे तो ये फिल्म आज तक रिलीज़ नहीं हुई है लेकिन फिल्म के निर्देशक शूजित सरकार वो दिन याद करते हैं, जब बच्चन ने अपने परिवार से मिली चेतावनी की परवाह किये बगैर खतरनाक शॉट दिया था और इसके लिए घर न बताने की धमकी तक दे डाली थी। शुजीत याद करते हैं " वो पहला दिन था और पहले ही शॉट में बस के पीछे चढ़ना था। घर से सख्त हिदायत मिली थी, ज्यादा उछल-कूद और भागदौड़ नहीं करना। बढ़ती उम्र और कुली का दर्द परेशान करता रहा है। पांच मिनट के शॉट को बच्चन साहब ने बिना सेफ्टी के किया। वो डर रहे थे कि कही जया को पता चल ना जाय।"

उम्र के साठ बरस पर करने के बाद भी अमिताभ ने आर बाल्की की फिल्म 'चीनी कम' के लिए बेमेल उम्र की मोहब्बत का रिस्क लिया था। बाल्की कहते हैं " मिस्टर बच्चन सही मायनों में एक डायरेक्टर ही हैं। 'चीनी कम' के पहला दिन एक सीन तीन बार किया। ठीक नहीं हुआ। चिढ़ गए थे। मुझसे पूछा क्या चाहिए तुम ? फिर एक सीन किया जो परफेक्ट से भी ज़्यादा था। "

बच्चन की फिल्मों फिल्मों के रीमेक हुए हैं और उनमें से एक है चंद्रा बारोट की 'डॉन' . बारोट कहते हैं " इंसान अपने आप को 'क्वामा' में रखता है तो आगे बढ़ने की गुंजाइश रहती है। लेकिन जब फुल स्टॉप लगा देता है तो वहीं रुक जाता है। बच्चन ने हमेशा अपने को क्वामा(,) में रखा है, इसीलिए तो इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं। " बच्चन के चाहने वाले हों या उनके आलोचक। सबने समय समय पर ये जरूर माना है कि कुछ ऐसी खूबियां बिग बी में जरूर हैं जिसकी वजह से ही वो सबसे अलग हैं।

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