व्हेल ने वो उगला , सुनके हैरान हो जाएँगे !

इंडोनेशिया के नेशनल पार्क की बात है। यहां व्हेल मछली के पेट में से 115 प्लास्टिक कप, 4 पानी की बोतलें, 25 प्लास्टिक बैग कुल मिला 1000 प्लास्टिक के पीस निकले। जाहिर सी बात है कि व्हेल मछली इस सबको खाने के बाद जिंदा नहीं रह सकती। वो मरी हुई थी।




अवैध रूप से मानव निर्मित कचरा कई देशों में समुंद्र में डाल दिया जाता है। यह खतरा विश्व के सामने खड़ा है। मछलियां भी प्लास्टिक खाने पर मजबूर हो रही हैं। इंडिया में तो उद्योगों का कचरा भी समुंद्र में डाल जाता है जिसके कारण मछलियों में कई तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ मछलियों तक सीमित रहेगा। मछली इंसान खाता है। बीमार वो भी होगा। कोई नहीं सकता प्लास्टिक के इस खतरे से।



व्हेल मछली एक दुर्लभ प्रजाति है। वो लगातार खत्म होती जा रही है। जरा सोचिए कि वहां प्लास्टिक पहुंचा कैसे? हमारी ही देन है। इंसान की खुराफाती हरकतों का खामियाजा दूसरे जानवरों को भी भुगतने पड़ रहे हैं। एक डाटा के मुताबिक, हर साल 10 हजार किलो से ज्यादा प्लास्टिक समुंद्र में डाला जाता है।

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