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बाराबंकी : देवा मेला में एक ओर जहां लोग अपने निजी वाहनों से जाने के लिए वाहन पास के लिए परेशान होते हैं और बिना वाहन पास के निजी वाहन ले जाने पर उसकी ¨चता में बेहाल रहते हैं वहीं वह लोग मेला में फुल इंज्?वाय पा रहे हैं जो बस से मेला आते जाते हैं। पहले देवा रोड की रेलवे क्रा¨सगों पर जाम लगता था इसलिए बस से देवा मेला का सफर परेशानी का सबब बनता था पर इस बार ओवरब्रिज बन जाने से बस से मेला जाने-आने का मजा ही कुछ और है। आइए चलते हैं रोडवेज बस से देवा मेला।
स्?थान-बस स्?टेशन-बाराबंकी
शनिवार समय सवा पांच बजे
अनुबंधित बस एकदम खाली आई। कंडक्?टर ने देवा मेला, देवा मेला की गुहार लगाई। फिर क्?या था बस में उछलते-कूदते चार छह बच्?चों सहित अन्?य दाखिल हुए। बमुश्?किल 10 मिनट के अंदर बस भर गई। बस चली तो एक वृद्ध किशोर को लेकर पीछे पीछे दौड़ा। उसे रोककर गेट पर ही लटकाकर बस कुछ दूर चली कि वह वृद्ध बस रोकने के लिए चिल्?लाया। बस रुकी वह उतर गया। फिर ओवरब्रिज पर जैसे बस चढ़ी। ड्राइवर ने गाना बजा दिया 'मैंने प्?यार कर लिया, नहीं करना था, एतबार कर लिया नहीं करना था।' भेड़हानाला के पहले बस रुकी, पांच मिनट तक कंडक्?टर ने टिकट बनाए। इस बीच गाना बंद रहा, फिर जैसे बस चली गाना आगे बढा 'आंसू खरीदे मुस्?कान दे दी, दिले नादान ये नहीं करना था।' भटेहटा के निकट रोड ब्रेकर पर हिचकोले लेती बस ने जैसे ही ब्रेकर दूसरे ब्रेकर को पार किया दूसरा गाना बजने लगा 'दिल नहीं वो चीज जो बाजार में मिल जाए, ये नहीं वो फूल जो बाग में खिल जाए।' पल्?टा गांव के पास बिल्?ली ने रास्?ता काटा। एक यात्री ने तुरंत बस के आगे वाले शीशे में क्रास करके सुरक्षित सफर के लिए दुआ की फिर रोड ब्रेकर के झटके से यात्री हिल गए और ब्रेकर पार करते ही तीसरा गाना बजा, 'दिल ने कहा है दिल से मुहब्?बत हो गई है तुमसे' बजने लगा। यह गाना खत्?म होते ही 5:55 बजे देवा मेला स्?टैंड पर बस पहुंच गई। यात्री उतरे और मेला की ओर बढ़ गए। बाराबंकी से देवा तक टिकट मूल्?य 13 रुपये है। रात 9:45 बजे वापसी के समय देवा मेला बस स्?टैंड पर बस खड़ी मिली। ज्?यादा भीड़ नहीं थी। सभी यात्री आराम से सीटों पर बैठे थे। बस चली, बस में बैठे यात्री मेला के अनुभव के बारे में एक दूसरे से बातें कर रहे थे, खाने पीने व गृह उपयोगी वस्?तुओं के बारे में एक दूसरे से बता रहे थे। सोमैया चौकी के पास तीन मिनट के लिए चेक पोस्?ट पर बस रुकी। कंडक्?टर ने अपनी टिकट सीट चेक कराई, बस फिर चली पड़ी रात 10:10 बजे बाराबंकी बस स्?टेशन पर आ गई। बस में कई ऐसे लोग भी मिले जो अपने निजी वाहन होते हुए भी बस से गए थे। इनसे बात की गई तो बोले भाई बस से आने-जाने में मजा आ गया। मेला देखते हुए गए और देखते हुए लौटे।
बाराबंकी : वर्ष 2011 बीटीसी प्रशिक्षुओं को काउंसि¨लग की वरिष्ठता सूची में नाम होने से नाराज प्रशिक्षुओं ने मंगलवार को धरना दिया। जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही करने की मांग की है।
मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में बीटीसी प्रशिक्षु शिवपूजन, राहुल ¨सह, शालिनी वर्मा, अंजली वर्मा, मनीषा, अनुपमा ¨सह, प्रशांत वर्मा, रचना, प्रियंका आदि ने डीएम को ज्ञापन देकर बताया है कि हम बीटीसी प्रशिक्षु 2011 बैच के प्रशिक्षण प्राप्त किया है और टीइटी भी पास किया है। शासन द्वारा बीटीसी 2011 बैच के प्रशिक्षुओं को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन निकाला गया था। उस समय सभी प्रशिक्षु प्रशिक्षणरत थे। ऐसी दशा में बीटीसी जूनियर बैच के प्रशिक्षुओं की काउंसि¨लग करा ली गई। जबकि इनका परिणाम भी नहीं आया था। यह काउंसि¨लग अवैध है। हम प्रशिक्षुओं को वरिष्ठता सूची में नाम छोड़कर काउंसि¨लग कराई जाए।
बाराबंकी: देवा मेला के सांस्कृतिक पांडाल में मंगलवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न स्थानों से आए ख्यातिलब्ध कवियों ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन को सुनने के लिए काफी भीड़ उमड़ी। शुभारंभ कैबिनेट मंत्री अर¨वद कुमार ¨सह गोप ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अध्यक्षता राजा मयंकेश्वर शरण ¨सह तिलोई एवं संचालन पहली बार महिला कवियत्री डॉ. कीर्ति काले ने किया। विशिष्ट अतिथि राकेश प्रताप ¨सह सहित विशिष्टजनों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही काव्य प्रेमियों का जमावड़ा रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. अनु सपन द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना 'हाथ जोड़ आपको नवाऊं शीष, स्वर ज्ञान दीजिए नमामि मातु शारदे की' से हुआ।
छत्तीसगढ़ के यूसुफ सागर ने पढ़ा-'हर तरफ अजां गूंजे हर तरफ भजन महके, एकता की खुशबू से यह मेरा वतन महके।' डॉ. कुंवर बेचैन ने पढ़ा-'पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है, पर तू जरा भी साथ दे तो और बात है'
दिल्ली से पधारी डॉ. कीर्ति काले ने पढ़ा-'जो देखा है सूरदास ने आंखों वाले क्या देखेंगे, जो महसूस किया मीरा ने ज्ञानी-ध्यानी क्या सोचेंगे।' जयपुर से पधारे डॉ. सुरेश दुबे ने पढ़ा-'सुखी रहो आनंद में जियो बरस हजार, तुम ऐसे फूलो-फलो जैसे भ्रष्टाचार।' अशोक पांडे अनहद ने पढ़ा-'¨हदू-मुस्लिम सभी को मिलता प्यार अपार, हाजी वारिस शाह का है सच्चा दरबार।' धौलपुर राजस्थान के रामबाबू शिकरवार ने पढ़ा-'दिल्ली में बेमौसम की बरसात हो गई, जो थे हीरो हुए जीरो दिन की रात हो गई।' बुलंदशहर के कवि डॉ. अर्जुन सिसोदिया ने पढ़ा-'दिलों में देश का जज्बा अजब तूफान रखते हैं, वतन पे शैदा होने का सभी अरमान रखते हैं।' महोबा के पीयूष नागयच ने पढ़ा-'ऐ खुदा तू अगर चाहे तो उठा ले ये गुरुद्वारे, मस्जिदें ये शिवाले।' डॉ. अनु सपन दिल्ली ने पढ़ा-'मुश्किलों में हमें जूझना आ गया, हार को भूलकर जीतना आ गया।'
कवि सम्मेलन में अंबरीश अंबर, अनिल मिश्रा तेजस्व, तरुण पांडे प्रभात सहित कई अन्य कवियों ने काव्य पाठ किया।
बाराबंकी : देवा मेला में एक ओर जहां लोग अपने निजी वाहनों से जाने के लिए वाहन पास के लिए परेशान होते हैं और बिना वाहन पास के निजी वाहन ले जाने पर उसकी ¨चता में बेहाल रहते हैं वहीं वह लोग मेला में फुल इंज्?वाय पा रहे हैं जो बस से मेला आते जाते हैं। पहले देवा रोड की रेलवे क्रा¨सगों पर जाम लगता था इसलिए बस से देवा मेला का सफर परेशानी का सबब बनता था पर इस बार ओवरब्रिज बन जाने से बस से मेला जाने-आने का मजा ही कुछ और है। आइए चलते हैं रोडवेज बस से देवा मेला।
स्?थान-बस स्?टेशन-बाराबंकी
शनिवार समय सवा पांच बजे
अनुबंधित बस एकदम खाली आई। कंडक्?टर ने देवा मेला, देवा मेला की गुहार लगाई। फिर क्?या था बस में उछलते-कूदते चार छह बच्?चों सहित अन्?य दाखिल हुए। बमुश्?किल 10 मिनट के अंदर बस भर गई। बस चली तो एक वृद्ध किशोर को लेकर पीछे पीछे दौड़ा। उसे रोककर गेट पर ही लटकाकर बस कुछ दूर चली कि वह वृद्ध बस रोकने के लिए चिल्?लाया। बस रुकी वह उतर गया। फिर ओवरब्रिज पर जैसे बस चढ़ी। ड्राइवर ने गाना बजा दिया 'मैंने प्?यार कर लिया, नहीं करना था, एतबार कर लिया नहीं करना था।' भेड़हानाला के पहले बस रुकी, पांच मिनट तक कंडक्?टर ने टिकट बनाए। इस बीच गाना बंद रहा, फिर जैसे बस चली गाना आगे बढा 'आंसू खरीदे मुस्?कान दे दी, दिले नादान ये नहीं करना था।' भटेहटा के निकट रोड ब्रेकर पर हिचकोले लेती बस ने जैसे ही ब्रेकर दूसरे ब्रेकर को पार किया दूसरा गाना बजने लगा 'दिल नहीं वो चीज जो बाजार में मिल जाए, ये नहीं वो फूल जो बाग में खिल जाए।' पल्?टा गांव के पास बिल्?ली ने रास्?ता काटा। एक यात्री ने तुरंत बस के आगे वाले शीशे में क्रास करके सुरक्षित सफर के लिए दुआ की फिर रोड ब्रेकर के झटके से यात्री हिल गए और ब्रेकर पार करते ही तीसरा गाना बजा, 'दिल ने कहा है दिल से मुहब्?बत हो गई है तुमसे' बजने लगा। यह गाना खत्?म होते ही 5:55 बजे देवा मेला स्?टैंड पर बस पहुंच गई। यात्री उतरे और मेला की ओर बढ़ गए। बाराबंकी से देवा तक टिकट मूल्?य 13 रुपये है। रात 9:45 बजे वापसी के समय देवा मेला बस स्?टैंड पर बस खड़ी मिली। ज्?यादा भीड़ नहीं थी। सभी यात्री आराम से सीटों पर बैठे थे। बस चली, बस में बैठे यात्री मेला के अनुभव के बारे में एक दूसरे से बातें कर रहे थे, खाने पीने व गृह उपयोगी वस्?तुओं के बारे में एक दूसरे से बता रहे थे। सोमैया चौकी के पास तीन मिनट के लिए चेक पोस्?ट पर बस रुकी। कंडक्?टर ने अपनी टिकट सीट चेक कराई, बस फिर चली पड़ी रात 10:10 बजे बाराबंकी बस स्?टेशन पर आ गई। बस में कई ऐसे लोग भी मिले जो अपने निजी वाहन होते हुए भी बस से गए थे। इनसे बात की गई तो बोले भाई बस से आने-जाने में मजा आ गया। मेला देखते हुए गए और देखते हुए लौटे।

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