खैलार (झाँसी)। वैसे तो मोमोज चायना पकवानों में से एक है लेकिन भारत में भी इस पकवान को लोगों ने खूब पसन्द किया, और उत्तरपूर्व व पहाड़ी इलाकों में अधिकतम इस पकवान को खाया जाता है। जहां शाम होते ही लोग कुछ चटपटा खाने के लिए सड़क पर निकलते है, और बाजार पहुंचकर केवल और केवल एक ही नाम समाने आता है मोमोज। लेकिन क्या आप जानते है कि मोमोज के रुप में आपको कैसे जहर परोसा जा रहा है।
हम आपको बताते है,
जी हां ये खबर आपको चाैंका सकती है क्योकि अब हम आपको मोमोज का वो सच बताने वाले है, जिन्हें आप ठेले पर दस मिनट इन्तजार करके बड़े चाव से खाते है। आखिर में मोमोज के पीछे क्या है वो घिनौना सच।
इस बात खुलासा तब हुआ जब थाना बबीना बीएचईएल क्षेत्र के ग्राम खैलार में मोमोज का ठेला लगाने वाला व्यापारी शाम को ठेला लगाने के लिए मोमोज बनाने की तैयारी में लगा था। इसी बीच मीडिया की तीसरी आंख ने वो देखा जिसे देखकर आप भी दंग रह जायेंगे। वह व्यापारी बाजार से सड़ी-गली गोभी को काटने में लगा था, जिस गोभी को वह भी अपने हाथों से नहीं छू सकता, क्योंकि उस गोभी में कीड़े लगे थे, और दुर्गन्ध इतनी थी कि घर में भी नहीं रखी जा सकती थी। इसलिए वही व्यापारी नाली के किनारे गोभी को चाकू से काटकर मोमोज बनाने में लगा था। जिसके बाद उस गोभी को उबालकर उसके मोमोज बनाये गये।
ये हाल केवल खैलार का नहीं बल्कि पूरे झाँसी जिले में इसी अन्दाज में मोमोज बनाये जाते है। मोमोज को बनाने वाले व्यापारी इस पकवान को बहुत ही घिनौने ढंग से बनाते है इसमें प्रयोग होने वाली सब्जियाँ, वो सब्जियाँ होती है जो सब्जी बाजार में कीड़े लगने व दुर्गन्ध के कारण नालों व कूडा दान में फेक दी जाती है, ऐसी सब्जियों को मोमोज व्यापारी उठा लाते है, और उन्हें उबालकर उनके मोमोज बनाते है। इस बात का सच आप फोटो में साफ तौर पर देख सकते है। ऐसे में जरुरत है कि स्वास्थ विभाग ऐसे व्यापारियों पर कार्यवाही करते हुए स्वस्थ भारत का निर्माण करे।
हमारा उद्देश्य किसी पकवान के प्रति आपको डराना व किसी गरीब व्यापारी के पेट पर लात मारना नही है, लेकिन जब बात आम जनता के स्वास्थ से जुड़ी हो, तो ऐसे सत्य को उजागर होना जरूरी हो जाता है।
0 comments:
Post a Comment