शाम होते हि सज जाती है दुकान पकवान की

शाम होते हि सज जाती है दुकान पकवान की.....

आज आपको रूबरू करते है गाडी. चेकिंग कि प़्रणाली जिससे कि आप कभी न कभी जरूर सामना हूआ होगा बडे़ साहब या S.O साहब व उनके सिपे सलाहकार से जाने अनजाने यह कहानी आपको भी परिचीत लगेगी या पास की हुई घटना पर भी प़्रकाशित करेगी मेरा आशय किसी को गलत साबित करने को या बिधी के ऊपर नहिं ब्लकी मेरा मतलब सिफँ आपको सचेत करने और डट कर अपने अधिकार हेतू जनजागरूक्ता लाने हेतू है यदि आप अपने अधिकार हेतू सजगता लायेंगें तो निश्चय हि दूसरों पर प़्रभाव होगा ....आइये जाने और देखे हर चौराहे बैठ एक कलम एक रसिद और बडे साहब कि पकवान का नया और नायाब तरिका दो सिपाही और कॉस्टेबल गाडी रोकते हुये ....यदि आप रूक गये तो कॉस्टेबल हि सब कागज चेक कर लेता है बडे साहब को परेशान नहीं करता और फिर चालू हो जाता है ये है तो ये क्यों नही अब तो चलान होगा तो गाडी वाला नहीं साहब देख लिजीये जल्दी में कागज भूल गये तो कोई बात नहीं ५०० है न ! नहिं साहब २०० है यार समय बेकार मत करो जाओ नही साहब छोड. दिजीये नही ३०० है अच्छा साहब ठिक है देता हूं चला जाता है.......फिर दूसरा आता है कागज दिखाओ  ये है साहब ओके तो फिर प़्रदुषण नहीं है और हेलमेट भी नही है चालान होगा नही साहब कल बनवा लेगें नही भाई ऊपर से आदेश है हम कुछ कर नही सकते ..तो सर कुछ ले देकर ...अच्छा ठिक है ५०० नही साहब ३०० है ओके दो ...ठिक है जाओ ......फिर नया कोई आता है और ओ अपराधी होता है कुछ भी नही होता रोकते हि थमा देता है ५०० जाओ जाओ.....यह एक ऐसा सच है जो सिफँ चेकिंग के नाम पर खाना पूतीँ हि है और तो और कोई सिनीयर सिटीजन भी होता है और लाख दुहाई देता हो तो भी १०० तो बनता है जो सही से कागज पढ भी नही सकता ओ चेकिंग करता है और बडे. साहब फोन से बडी. डील में हि लगे होते है....ये रोज की कहानी है इनको अपने काम करने का सरकार तनख्वाह व भता देती है फिर भी ये लूट घसूट कभी तो जिम्मेदारी को समझो और गलत को उसकी जगह और सही को उसकी जगह दो ....जागो और बचे रहने दो हमारे संस्कृती सभ्यता और पहचान को यदि ऐसे हि रहा तो सच को भी डर लगेगा और आला अधिकरियों को ऐसे भ़्रष्ट लोगों पर सख्त कारवाई होनी चाहिये ......नही तो सच का मुँह काला और झूठ का बोलबाला होगा......

By - Krishna Pandit
9889187040

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