वाराणसी
एक सच
कृष्णा पंडित
9889187040
-पैसा है तो सब संभव नहीं तो असंभव
जिला मुख्यालय के निकट रजिस्ट्री कार्यालय भ्रष्टाचार का प्रयाय बना हुआ है। किसी की वाजिब रजिस्ट्री भारी है तो कोई पैसे के दम पर मौजूदा जमीन से दो गुना की भी रजिस्ट्री इसी कार्यालय से पंजीकृत करा देता है, जो बाद में विवाद का सबसे बड़ा कारक बनती हैं। इसकी एक-दो-दर्जन नही अनगिनत नजीरे तहसील, डीएम से लेकर न्यायिक अदालतों में विचाराधीन हैं। लेकिन आजतक किसी जिम्मेदार के पचासों शिकायतों के पश्चात भी शिकन तक नहीं आई।
इतना ही नहीं सरकारी नियम-कानून को धता बताकर वर्षों से पुराना स्टाफ ही जमा हुआ है। किसी नए की नियुक्ति भी या हस्तांतरण भी यहां हुआ तो अगर वो आंख-मुंह बंद कर जितने दिन चुपचाप रहा, टिका रहा।
जहां गोरखधंधे पर टिप्पणी भी की तो उल्टा फंसा भी दिया गया और दूसरी जगह का रास्ता भी तुरंत। रजिस्ट्री कराने वाले लोगों की माने तो रजिस्टार व उप रजिस्टार खुलेआम रजिस्ट्री में घूस ले रहे है। रजिस्ट्री कराने वाले वकीलो का कहना की सुविधा शुल्क न देने पे परेशान करते है। रजिस्ट्री में बिना कमी के कमिया निकलते है।
मज़बूरी में जनता परेशांन,सरकार के मंत्री, विधायक, सब जानते हुए आँखों पे पर्दा डाले बैठे हुए ।
इस मुद्दे पर अधिवक्ताओं द्वारा भी शिकायत दर्ज कराने की बात सामने आई है। लेकिन मामला सिफर रहा ।ये भी बात सामने आई है कि शिकायत पर अगर किसी वरिष्ठम अधिकारी ने भी कुछ कार्रवाई का मन भी बनाया तो उसको भी इन पहुंचे तीरंदाजों ने हासिए पर पहुंचा दिया। जो अगर सही है तो बहुत गंभीर है। फिर भी लोंगों को मौजूदा जिलाधिकारी राजमनी यादव जी से कार्यवाही की उम्मीद कुछ-न-कुछ लगी है !
एक सच
कृष्णा पंडित
9889187040
-पैसा है तो सब संभव नहीं तो असंभव
जिला मुख्यालय के निकट रजिस्ट्री कार्यालय भ्रष्टाचार का प्रयाय बना हुआ है। किसी की वाजिब रजिस्ट्री भारी है तो कोई पैसे के दम पर मौजूदा जमीन से दो गुना की भी रजिस्ट्री इसी कार्यालय से पंजीकृत करा देता है, जो बाद में विवाद का सबसे बड़ा कारक बनती हैं। इसकी एक-दो-दर्जन नही अनगिनत नजीरे तहसील, डीएम से लेकर न्यायिक अदालतों में विचाराधीन हैं। लेकिन आजतक किसी जिम्मेदार के पचासों शिकायतों के पश्चात भी शिकन तक नहीं आई।
इतना ही नहीं सरकारी नियम-कानून को धता बताकर वर्षों से पुराना स्टाफ ही जमा हुआ है। किसी नए की नियुक्ति भी या हस्तांतरण भी यहां हुआ तो अगर वो आंख-मुंह बंद कर जितने दिन चुपचाप रहा, टिका रहा।
जहां गोरखधंधे पर टिप्पणी भी की तो उल्टा फंसा भी दिया गया और दूसरी जगह का रास्ता भी तुरंत। रजिस्ट्री कराने वाले लोगों की माने तो रजिस्टार व उप रजिस्टार खुलेआम रजिस्ट्री में घूस ले रहे है। रजिस्ट्री कराने वाले वकीलो का कहना की सुविधा शुल्क न देने पे परेशान करते है। रजिस्ट्री में बिना कमी के कमिया निकलते है।
मज़बूरी में जनता परेशांन,सरकार के मंत्री, विधायक, सब जानते हुए आँखों पे पर्दा डाले बैठे हुए ।
इस मुद्दे पर अधिवक्ताओं द्वारा भी शिकायत दर्ज कराने की बात सामने आई है। लेकिन मामला सिफर रहा ।ये भी बात सामने आई है कि शिकायत पर अगर किसी वरिष्ठम अधिकारी ने भी कुछ कार्रवाई का मन भी बनाया तो उसको भी इन पहुंचे तीरंदाजों ने हासिए पर पहुंचा दिया। जो अगर सही है तो बहुत गंभीर है। फिर भी लोंगों को मौजूदा जिलाधिकारी राजमनी यादव जी से कार्यवाही की उम्मीद कुछ-न-कुछ लगी है !
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