झूला डरौ कदम की डार हिंडोला जहां झूलै राधा रानी..
कोंच-उरई। ऐतिहासिक महत्व को अपने में आत्मसात् किये, स्वातंत्र्य समर का प्रमुख केन्द्र और महारानी झांसी लक्ष्मीबाई का गुरूद्वारा रामलला मंदिर आजकल झूलनोत्सव को लेकर सुर्खियों में है, हरियाली तीज से शुरू होकर पखवाड़े भर चलने बाले झूलनोत्सव पर यहां शास्त्रीय संगीत की ऐसी रसधार बहती है कि श्रोताओं का मन मयूर नाच उठता है। इस मंदिर में पिछले कई दशकों से चली आ रही परम्परा को आगे बढाते हुये शास्त्रीय संगीत के जानकार राग-रागिनियों की ऐसी तान छेड़ रहे हैं कि सुनने बाले मस्ती में झूम रहे हैं। यहां समीपस्थ और दूरस्थ क्षेत्रों से संगीत की शास्त्रीय बिधा के जानकारों का भारी जमावड़ा रहता है जो अपनी अनूदित प्रस्तुतियों से सुधी श्रोताओं को संगीत के माध्यम से आध्यात्मिक अनुभूति कराने का प्रयास करते हैं।
झूलनोत्सव इस मंदिर की बहुत पुरानी स्थापित परम्परा है, झूलनोत्सव के प्रथम दिवस मंदिर के एकादश गद्दीधर महंत रघुनाथदास के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम की छटा अवर्णनीय थी, मंदिर के बड़े मण्डप में एक ओर झूले में रामलला सरकार विराजमान हैं और स्वयं महंतजी उन्हें झूला झुला रहे हैं तथा दर्शनार्थियों को प्रसाद वितरित कर रहे हैं तो वहीं ठीक सामने संगीत की विभिन्न बिधाओं के अच्छे जानकारों की जमात बैठी रामलला को शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियों से आनंदित करने का जतन कर रही है। शास्त्रीय बिधा के प्रशिक्षु हरीश याज्ञिक ने राग मियां मल्हार बड़ा खयाल में अपनी सशक्त प्रस्तुति देते हुये गाया, झूलन में आज सजधज कर नवल सरकार बैठे हैं..। सोनू सोनी ने राग वृंदावनी सारंग ध्रुपद में गाया, श्नमो शारदा सरस्वती विद्यादानी भवानी..।
अजमेरसिंह ने प्यारे से झूले सुनाते हुये गाया, हिंडोले झूलत दोऊ सरकार श्री मिथलेश लली संग राजत अवध कुमार..। शिवशंकर त्रिपाठी ने श्मन मोर परम हरषाये रे, शत कोटि काम शरमाये रे, झूलन रघुनायक आये रे.. गाकर रामलला सरकार स्तवन किया। कु. तनिश पाठक ने हे मनमोहन हे मुरलीधर हे दामोदर.. गाकर तालियां बटोरीं। विनोद पाण्डेय ने झूला तो झूले मनहर लालनीजी.. गाकर आनंदित किया। शास्त्रीय संगीत के उत्कृष्ट्र गायक देशराज ने अपनी प्रस्तुति श्पवन चलत घनघोर गरजत, जिया मोरो डरावै.. दी। कु. आरजू झा, कु. हर्षिता त्रिपाठी, प्रख्यात रंगकर्मी एवं संगीत के जानकार वीरेन्द्र त्रिपाठी, कु. निशा झा, कु. देवयानी याज्ञिक, कु. नैन्सी आदि ने अपनी शानदार प्रस्तुतियां देकर झूले का आनंद प्रदान किया। संचालन शास्त्रीय संगीत के नामचीन हस्ताक्षर रामकृष्ण परिहार ने किया। तबले पर मथुराप्रसाद व महेशकुमार तथा हारमोनियम पर हरीश याज्ञिक संगत कर रहे थे। पुजारी गोटीराम ने रामलला सरकार की आरती उतारी।
कोंच-उरई। ऐतिहासिक महत्व को अपने में आत्मसात् किये, स्वातंत्र्य समर का प्रमुख केन्द्र और महारानी झांसी लक्ष्मीबाई का गुरूद्वारा रामलला मंदिर आजकल झूलनोत्सव को लेकर सुर्खियों में है, हरियाली तीज से शुरू होकर पखवाड़े भर चलने बाले झूलनोत्सव पर यहां शास्त्रीय संगीत की ऐसी रसधार बहती है कि श्रोताओं का मन मयूर नाच उठता है। इस मंदिर में पिछले कई दशकों से चली आ रही परम्परा को आगे बढाते हुये शास्त्रीय संगीत के जानकार राग-रागिनियों की ऐसी तान छेड़ रहे हैं कि सुनने बाले मस्ती में झूम रहे हैं। यहां समीपस्थ और दूरस्थ क्षेत्रों से संगीत की शास्त्रीय बिधा के जानकारों का भारी जमावड़ा रहता है जो अपनी अनूदित प्रस्तुतियों से सुधी श्रोताओं को संगीत के माध्यम से आध्यात्मिक अनुभूति कराने का प्रयास करते हैं।
झूलनोत्सव इस मंदिर की बहुत पुरानी स्थापित परम्परा है, झूलनोत्सव के प्रथम दिवस मंदिर के एकादश गद्दीधर महंत रघुनाथदास के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम की छटा अवर्णनीय थी, मंदिर के बड़े मण्डप में एक ओर झूले में रामलला सरकार विराजमान हैं और स्वयं महंतजी उन्हें झूला झुला रहे हैं तथा दर्शनार्थियों को प्रसाद वितरित कर रहे हैं तो वहीं ठीक सामने संगीत की विभिन्न बिधाओं के अच्छे जानकारों की जमात बैठी रामलला को शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियों से आनंदित करने का जतन कर रही है। शास्त्रीय बिधा के प्रशिक्षु हरीश याज्ञिक ने राग मियां मल्हार बड़ा खयाल में अपनी सशक्त प्रस्तुति देते हुये गाया, झूलन में आज सजधज कर नवल सरकार बैठे हैं..। सोनू सोनी ने राग वृंदावनी सारंग ध्रुपद में गाया, श्नमो शारदा सरस्वती विद्यादानी भवानी..।
अजमेरसिंह ने प्यारे से झूले सुनाते हुये गाया, हिंडोले झूलत दोऊ सरकार श्री मिथलेश लली संग राजत अवध कुमार..। शिवशंकर त्रिपाठी ने श्मन मोर परम हरषाये रे, शत कोटि काम शरमाये रे, झूलन रघुनायक आये रे.. गाकर रामलला सरकार स्तवन किया। कु. तनिश पाठक ने हे मनमोहन हे मुरलीधर हे दामोदर.. गाकर तालियां बटोरीं। विनोद पाण्डेय ने झूला तो झूले मनहर लालनीजी.. गाकर आनंदित किया। शास्त्रीय संगीत के उत्कृष्ट्र गायक देशराज ने अपनी प्रस्तुति श्पवन चलत घनघोर गरजत, जिया मोरो डरावै.. दी। कु. आरजू झा, कु. हर्षिता त्रिपाठी, प्रख्यात रंगकर्मी एवं संगीत के जानकार वीरेन्द्र त्रिपाठी, कु. निशा झा, कु. देवयानी याज्ञिक, कु. नैन्सी आदि ने अपनी शानदार प्रस्तुतियां देकर झूले का आनंद प्रदान किया। संचालन शास्त्रीय संगीत के नामचीन हस्ताक्षर रामकृष्ण परिहार ने किया। तबले पर मथुराप्रसाद व महेशकुमार तथा हारमोनियम पर हरीश याज्ञिक संगत कर रहे थे। पुजारी गोटीराम ने रामलला सरकार की आरती उतारी।
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