सूरते हाल छोटी संसद-
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अब ग्राम प्रधानी को लेकर हलचल शुरू
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कोंच। त्रिस्तरिय पंचायत चुनाव में क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के हालिया निपटे चुनावों के बीच सिर पर आन खड़े हुये ग्राम प्रधानी के चुनावों को लेकर अब ग्रामीण क्षेत्रों में हलचल शुरू हो गई है। चुनाव लडऩे का मन बना चुके संभावित प्रत्याशियों ने मतदाताओं के इर्द गिर्द पास मंडराना शुरू कर दिया है, साथ ही गांवों में वोटों के लिए अपनी गोटे बिछानी शुरू कर दी हैं।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जहां प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटा है, तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव को लेकर चौराहों पर आम चर्चायें शुरू हो गई हैं। सुबह शाम चौपाल लगाकर संभावित ग्रामीण प्रत्याशियों में सुगबुगाहट तेज हो गई है। चुनाव लडऩे के संभावित प्रत्याशियों ने गांव में घूम-घूम कर अपनी गोटें बिछानी शुरू कर दी हैं। फिलहाल अभी तक सरकारी तौर पर चुनाव को लेकर अनुमान के मुताबिक 7 नबंवर को अधिसूचना जारी होनी है जिसे लेकर संभावित प्रत्याशियों में गजब का उत्साह है और गांव-गांव वोटरों को रिझाने का कार्य भी प्रारम्भ हो गया है। वे त्यौहारों की भांति एक दूसरे से अपने मेल मिलाप करनें में लगे हैं और कुशल क्षेम जानने में लगे हैं। यहां गौरतलब यह भी है कि जारी आरक्षण में सीटों के उलट फेर ने कईयों के अरमानों पर पानी फेर दिया है और वे चुनावी रिंग से बाहर हो गये हैं, लेकिन उन तिकड़मबाजों ने अब अपने प्यादों पर दांव खेलना शुरू कर दिया है और आरक्षण के भीतर वे अपने फरमावरदारों जिनको आगे करके चुनाव में अपना दखल बनाये रखा जा सकता है, को साधने का काम शुरू कर दिया है।
पिता की मौत 2005 से पहले, तो बेटी को नहीं मिलेगा प्रॉपर्टी में हिस्साः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में पैत्रिक संपत्ति पर बेटियों के हक को लेकर दिए एक अहम..
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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने पैत्रिक संपत्ति पर बेटियों के हक को लेकर दिए एक अहम फैसले में 2005 तक की समयसीमा तय कर दी है ।
पिता की संपत्ति में बेटियों के बराबर के अधिकार को सीमित करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर पिता की मृत्यु 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में संशोधन से पहले हो चुकी है, तो ऐसी स्थिति में बेटियों को संपत्ति में बराबर का हक नहीं मिलेगा।
अदालत ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (संशोधित) 2005 के संशोधित प्रावधान के एक सामाजिक विधान होने के बावजूद पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं हो सकता। बेटी को संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार तभी माना जाएगा जब पिता 9 सितंबर 2005 को जीवित हों।
कोर्ट ने कहा कि संपत्ति में परिवार के पुरुष सदस्यों के बराबर हक के लिए पिता का 9 सितंबर 2005 को जीवित रहना जरूरी है।
गौरतलब है कि हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में पिता की संपत्ति में बेटी के हिस्से का प्रावधान नहीं किया गया था। इसके तहत वे केवल संयुक्त हिंदू परिवार होने की स्थिति में जीविका की मांग कर सकती थीं।
हिंदू उत्तराधिकार कानून में 9 सितंबर 2005 को संशोधन किया गया था, जिसमें पिता की संपत्ति में बेटी को भी बेटे के बराबर अधिकार दिया
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पिता की संपत्ति में हिस्से की चाहत रखने वालीं बेटियों के लिए दोहरा झटका है। अभी तक वह 20 दिसंबर 2004 से पहले वाली स्थिति के लिए संपत्ति पर दावा पेश नहीं कर सकती थीं, लेकिन अब कोर्ट ने इसके लिए संशोधित अधिनियम अस्तित्व में आने की तारीख यानी 9 सितंबर 2005 तय कर दी है !
वाराणसी
दशाश्वमेघ थाना क्षेत्र के चौशट्ठी घाट पर शाम 6:30 के करीब एक 26 वर्षीय युवक ने गंगा में कूद कर दी जान ! सूचना पर पहुंची पुलिस ने मल्लाहों की मदद से पानी से बाहर निकाला शव | मृतक का नाम _ पता अज्ञात !!
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