👉 वोट बैंक की राजनीति में आखिर कब तक पिस्ता रहेगा युवा
👉कया जाति देखकर आती गरीवी
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अपने बड़े बुजुर्गो के माध्यम से अक्सर यह सुनने को मिलता रहता है कि " पांचों अँगुली बराबर नहीँ होती" और यह बात सच भी प्रतीत होती है लेकिन दुर्भाग्य से वोट बैंक रूपी खजाने के लिये सियाशी चाले चलने वाले हमारे नेता सम्भवतः इस बात को मानने को तैयार होते नही दिखाई दे रहे है या फिर ये कहा जाये कि वोट बैंक के समीकरणों में बंधा उनका निजी स्वार्थ इस बात को नजर अंदाज करने को मजबूर कर रहा है तभी तो एक ओर जातिवाद के विरुद्ध समाज में जागरूकता का शंखनाद हो रहा है
और दूसरी ओर इसी जातिवाद की खाई को ओर गहरा करने का काम किया जा रहा है। आधुनिक परिवेश में आरक्षण के कारण समान्य वर्ग के युवा खुद में ग्लानि महसूस कर स्वयं से इस सवाल का हल पाने की कोशिश कर रहा कि क्या सामान्य वर्ग का होना गुनाह है ? यँहा हमारा अन्य वर्गों को मिले आरक्षण का विरोध करने की मंशा नही है लेकिन हम कुर्सी के नशे में चूर जनता के उन हमदर्दों से ये पूछना चाहते है जो सिर्फ चुनाव के समय एयर कण्डीशन से बाहर निकल सड़कों की धूल फकते हुये दिखाई देते है " क्या गरीबी जाति देखकर आती है ? यदि हाँ तो मै माननीय नेताजी से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुये जनहित में एक आत ऐसे उदाहरण सामने लाने का कष्ट करें जँहा गरीबी जाति देखकर आई हो
और यदि गरीबी जाति देखकर नही आती तो फिर क्यों देश के ठेकेदारों देश को जातिवाद के बन्धन में बाँट रहे हो एक को बाँट रहे हो और दूसरे को डॉट रहे हो यह स्पष्ट है कि जब गरीबी भी जाति देखकर नहीँ आती तो सम्पनता भी जाति देखकर नही आती क्या वर्तमान में सामान्य वर्ग में ऐसे परिवार नही है जो निम्न स्तर का जीवन जी रहे है जिनके लिये इस परिवेश में 2 जून की रोटी भी बड़े मुशिकल से नसीब हो रही है वक्त आ गया युवाओं जागो और अपनी तूफानी शक्ति से अन्धो और बहरो की तरह बैठे नेताओं को ये दिखाओ
कि सामान्य वर्ग में भी ऐसे कई परिवार है जो भुखमरी की कगार पर है । आरक्षण को जातिगत रूप से लागू कर आखिर कब तक सामान्य वर्ग के परिवारों के साथ भेदभाव होता रहेगा और इनके घाव पर जातिगत आरक्षण नामक मिर्च का छिड़काव कर इस आवाज को निकालने पर मजबूर किया जायेगा कि क्या सामान्य वर्ग का होना गुनाह है ? मै सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं का आवाहन करता हूँ कि सरकार द्वारा किये जा रहे भेदभाव के खिलाफ घर की देहरी लाँघ सोये हुये जनप्रतिनिधियो को जगाने का काम करें
और अपने अधिकार के प्रति आवाज बुलन्द करें वक्त आ गया है कि अब जातिगत आरक्षण को आर्थिक आधार पर परिवर्तित करवाने को आगे आये जिससे फिर किसी के जहन में इस सवाल की संरचना न हो कि क्या सामान्य वर्ग का होना गुनाह है 7524820277 व्हाट्सएप पर आर्थिक आरक्षण लिखकर अपने नाम और पता सहित मैसेज कर हमारे साथ जुड़े जिससे जल्द से जल्द सोशल मीडिया के साथ साथ धरातल पर भी आवाज बुलन्द कर अपने जनप्रतिनिधियो तक यह सन्देश पहुँचा सके कि अब जातिगत नही आर्थिक आरक्षण लेने के लिये जनता जाग चुकी है।
पारसमणि अग्रवाल
👉कया जाति देखकर आती गरीवी
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अपने बड़े बुजुर्गो के माध्यम से अक्सर यह सुनने को मिलता रहता है कि " पांचों अँगुली बराबर नहीँ होती" और यह बात सच भी प्रतीत होती है लेकिन दुर्भाग्य से वोट बैंक रूपी खजाने के लिये सियाशी चाले चलने वाले हमारे नेता सम्भवतः इस बात को मानने को तैयार होते नही दिखाई दे रहे है या फिर ये कहा जाये कि वोट बैंक के समीकरणों में बंधा उनका निजी स्वार्थ इस बात को नजर अंदाज करने को मजबूर कर रहा है तभी तो एक ओर जातिवाद के विरुद्ध समाज में जागरूकता का शंखनाद हो रहा है
और दूसरी ओर इसी जातिवाद की खाई को ओर गहरा करने का काम किया जा रहा है। आधुनिक परिवेश में आरक्षण के कारण समान्य वर्ग के युवा खुद में ग्लानि महसूस कर स्वयं से इस सवाल का हल पाने की कोशिश कर रहा कि क्या सामान्य वर्ग का होना गुनाह है ? यँहा हमारा अन्य वर्गों को मिले आरक्षण का विरोध करने की मंशा नही है लेकिन हम कुर्सी के नशे में चूर जनता के उन हमदर्दों से ये पूछना चाहते है जो सिर्फ चुनाव के समय एयर कण्डीशन से बाहर निकल सड़कों की धूल फकते हुये दिखाई देते है " क्या गरीबी जाति देखकर आती है ? यदि हाँ तो मै माननीय नेताजी से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुये जनहित में एक आत ऐसे उदाहरण सामने लाने का कष्ट करें जँहा गरीबी जाति देखकर आई हो
और यदि गरीबी जाति देखकर नही आती तो फिर क्यों देश के ठेकेदारों देश को जातिवाद के बन्धन में बाँट रहे हो एक को बाँट रहे हो और दूसरे को डॉट रहे हो यह स्पष्ट है कि जब गरीबी भी जाति देखकर नहीँ आती तो सम्पनता भी जाति देखकर नही आती क्या वर्तमान में सामान्य वर्ग में ऐसे परिवार नही है जो निम्न स्तर का जीवन जी रहे है जिनके लिये इस परिवेश में 2 जून की रोटी भी बड़े मुशिकल से नसीब हो रही है वक्त आ गया युवाओं जागो और अपनी तूफानी शक्ति से अन्धो और बहरो की तरह बैठे नेताओं को ये दिखाओ
कि सामान्य वर्ग में भी ऐसे कई परिवार है जो भुखमरी की कगार पर है । आरक्षण को जातिगत रूप से लागू कर आखिर कब तक सामान्य वर्ग के परिवारों के साथ भेदभाव होता रहेगा और इनके घाव पर जातिगत आरक्षण नामक मिर्च का छिड़काव कर इस आवाज को निकालने पर मजबूर किया जायेगा कि क्या सामान्य वर्ग का होना गुनाह है ? मै सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं का आवाहन करता हूँ कि सरकार द्वारा किये जा रहे भेदभाव के खिलाफ घर की देहरी लाँघ सोये हुये जनप्रतिनिधियो को जगाने का काम करें
और अपने अधिकार के प्रति आवाज बुलन्द करें वक्त आ गया है कि अब जातिगत आरक्षण को आर्थिक आधार पर परिवर्तित करवाने को आगे आये जिससे फिर किसी के जहन में इस सवाल की संरचना न हो कि क्या सामान्य वर्ग का होना गुनाह है 7524820277 व्हाट्सएप पर आर्थिक आरक्षण लिखकर अपने नाम और पता सहित मैसेज कर हमारे साथ जुड़े जिससे जल्द से जल्द सोशल मीडिया के साथ साथ धरातल पर भी आवाज बुलन्द कर अपने जनप्रतिनिधियो तक यह सन्देश पहुँचा सके कि अब जातिगत नही आर्थिक आरक्षण लेने के लिये जनता जाग चुकी है।
पारसमणि अग्रवाल
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